ब्लैक फंगस: सरकार ने जारी की नयी गाइडलाइन

ब्लैक फंगस: सरकार ने जारी की नयी गाइडलाइन 
कोरोना के संक्रमण क साथ-साथ ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। कोविड से रिकवर हो चुके लोगों को ब्लैक फंगस की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण आंखों की रोशनी तक चली जाती हैं। कोरोना वायरस पहले से ही बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रहा है और अब कोरोना के मरीजों में ब्लैक फंगस संक्रमण भी जानलेवा बन रहा है। इस संक्रमण को म्यूकोरमाइकोसिस कहते हैं। ये संक्रमण इतना खतरनाक है कि नाक, आंख और कभी-कभी दिमाग में भी फैल जाता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें मरीज की जान बचाने और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आंखें तक निकालनी पड़ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ये संक्रमण कोरोना वायरस से ठीक हो रहे या ठीक हो चुके मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है।

देश के विभिन्न हिस्सों में इसके कई मामले सामने आए हैं और कई जगह मौतें भी दर्ज की गई हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही ब्लैक फंगस के कारण 90 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। गौरतलब है कि इस फंगल इंफेक्शन के कई मामले अब तक उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए हैं। ऐसे में इस घातक बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए दिल्ली एम्स ने कुछ गाइडलाइन्स जारी की हैं, जो ब्लैक फंगस का पता लगाने और उसके इलाज के दौरान मदद कर सकती हैं। एम्स की ओर से डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि जो मरीज ब्लैक फंगस के शिकार होने के रिस्क पर हैं, उन्हें लगातार सूचित करें और उनका चेकअप कराने के लिए कहा गया है।

सबसे ज्यादा खतरा किसे?

जिन मरीजों को डायबिटीज की बीमारी है। डायबिटीज होने के बाद स्टेरॉयड या टोसीलिजुमाब दवाइयों का सेवन करते हैं, उन पर इसका खतरा है।

कैंसर का इलाज करा रहे मरीज या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का अधिक रिस्क है। जो मरीज स्टेरॉयड को अधिक मात्रा में ले रहे हैं, उन्हें भी खतरा है। 

कोरोना से पीड़ित गंभीर मरीज जो ऑक्सीजन मास्क या वेंटिलेटर के जरिये ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, ऐसे मरीजों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। 

कैसे करें ब्लैक फंगस की पहचान?

  •        नाक से खून बहना, पपड़ी जमना या काला-सा कुछ निकलना। 
  •        नाक का बंद होना, सिर और आंख में दर्द, आंखों के पास सूजन, धुंधला दिखना, आंखों का लाल होना, कम दिखाई देना, आंख को खोलने-बंद करने में दिक्कत होना। 
  •       चेहरे का सुन्न हो जाना या झुनझुनी-सी महसूस होना।
  •       मुंह को खोलने में या कुछ चबाने में दिक्कत होना।
  •       ऐसे लक्षणों का पता लगाने के लिए हर रोज खुद को अच्छी रोशनी में चेक करें ताकि चेहरे पर कोई असर हो तो दिख सके। 
  •        दांतों का गिरना, मुंह के अंदर या आसपास सूजन होना।
  •        कैसे करें ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीजों की देखभाल?
  •       डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज करें।
  •        किसी ईएनटी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, आंखों के एक्सपर्ट से संपर्क करें या किसी ऐसे डॉक्टर के संपर्क में जाएं, जो ऐसे ही किसी मरीज का इलाज कर रहा हो। 
  •        डॉक्टर की ट्रीटमेंट को रोजाना फॉलो करें। अगर मरीज को डायबिटीज है तो उसके ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहें।
  •        कोई अन्य बीमारी हो तो उसकी दवाई लेते रहें और मॉनिटर करें।
  •        खुद ही स्टेरॉयड या किसी अन्य दवाई का सेवन ना करें। 
  •        डॉक्टर की जरूरी सलाह पर एमआरआई और सीटी स्कैन करवाएं। 
  •       नाक-आंख की जांच भी जरूरी है।

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 (हर दिल में होते हैं ज़ज्बात, हर मन में हिचकोले लेते हैं ख्यालात कीजिये बयाँ अपने अहसासों को....

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