ब्लैक फंगस: लक्षण और बचाव के तरीके

ब्लैक फंगस: लक्षण और बचाव के तरीके

म्यूकरमाइकोसिस इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता है। ब्‍लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है।

ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर माइकोसिस के रोगी की सप्ताह भर पहले कानपुर में हैलट के कोविड अस्पताल में मौत हो चुकी है। इसके पूरे मस्तिष्क में फंगस का संक्रमण फैल गया था। इसके अलावा एक रोगी गंभीर हालत में हैलट में भर्ती है। रोगी वेंटिलेटर पर है। इसकी वजह से इसकी एमआरआई जांच करा पाना संभव नहीं हो पा रहा है।

अब जब ब्लैक फंगस के रोगी बढ़ रहे हैं तो इस केस पर विशेषज्ञों का ध्यान गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक वर्मा ने बताया कि जिस रोगी में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी, उसकी एक सप्ताह पहले मौत हो चुकी है। उसके संक्रमण फैल गया था। अभी एक और संदिग्ध रोगी है।

उसकी भी जांच कराई जाएगी। मस्तिष्क में संक्रमण फैलने के बाद स्थिति और गंभीर हो जाती है। जहां फंगस लगा होता है, वह हिस्सा काट कर निकालना पड़ता है। इसके बाद इलाज किया जाता है। अगर शुरुआत में मस्तिष्क, नाक की एमआरआई या फिर बायोप्सी करा ली जाए तो यह पकड़ में आ जाती है।

सामान्य धूल में रहता है संक्रमण

डॉ. आलोक वर्मा का कहना है कि ब्लैक फंगस का संक्रमण सामान्य धूल में रहता है। यह लोगों के शरीर में लगा करता है। लेकिन शरीर की इम्युनिटी की वजह से इसका असर नहीं होता है। अक्सर स्टेराइड के इस्तेमाल से इम्युनिटी कम होती है। इसके साथ अगर अनियंत्रित डायबिटीज हुई तो यह बहुत तेजी से फैलता है। इसमें चार-पांच दिन का ही समय रोगी को मिलता है। 

खास लक्षण

- नाक से लगातार बदबूदार रिसाव

- सिर दर्द बराबर बना रहना

- आंखों के आगे धुंधलापन

- नाक से खून आना

" यह कैंसर की तरह व्यवहार करता है, लेकिन कैंसर को जानलेवा प्रभाव पैदा करने में कम से कम कुछ महीने तो लगते हैं जबकि इससे जान कुछ दिनों या कुछ घंटों तक में जा सकती है."

डॉ. अर्पणा महाजन ,कंसलटेंट और ENT,फोर्टिस,फरीदाबाद

ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार,अगर कुछ बातों का ध्यान दें तो ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है। इसके लिए डायबिटिक लोग और कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें या फिर बंद ही कर दें। ऑक्‍सीजन थेरेपी के दौरान स्‍टेराइल वॉटर का प्रयोग करें।

इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल करना बंद कर दें। इसके साथ ही एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्‍तेमाल करें। खून में शुगर की मात्रा (हाइपरग्लाइसेमिया) नियंत्रित रखें।

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