आखिर क्या है भारत में ऑक्सीजन की स्थिति?
भारत में ऑक्सीजन की कमी के चलते लगभग लाखों लोगों ने अपनी जान गवां दी है. लेकिन ऐसे समय में भारत के साथ पूरी दुनिया खड़ी है और भारत को ऑक्सीजन सप्लाई करके भारत के मरीजों की जान बचा रही है. इस स्थिति में यह सवाल उठता है कि भारत में ऑक्सीजन की क्या स्थिति है और क्या क्या हो सकता है:
अभी क्या है ऑक्सीजन सप्लाई की
स्थिति?
पिछले साल कोविड
महामारी की पहली लहर के मुकाबले फिलहाल ऑक्सीजन की मांग में 30 फीसदी की वृद्धि
हुई है. कोरोना की महामारी की पहली लहर से पहले देश में रोजाना 700 टन ऑक्सीजन का
निर्माण होता था लेकिन कोविड के दौरान मांग बढ़ने से उत्पादन बढ़कर 3000 टन
प्रतिदिन हो गया. लेकिन अब हालात बदल गए हैं और कोरोना की दूसरी लहर में हमें
रोजाना 8500 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन का उत्पादन करना पड़ रहा है. भारत में जिस रफ्तार
से ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है, इससे पहले दुनिया में कभी भी ऐसा नहीं हुआ है. हालांकि
हमारे पास ऑक्सीजन निर्माण की क्षमता है और हमने इस मांग को पूरा किया है.
ऑक्सीजन
सप्लाई की तैयारी क्यों नहीं कर पाए?
उत्तर भारत
में ऑक्सीजन की मांग अधिक रहने से उत्तर के राज्यों को परेशानी का सामना करना
पड़ा. चूंकि भारत में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन 70 अलग-अलग जगहों पर होता है.
उत्तर भारत में ऑक्सीजन का 10 फीसदी उत्पादन होता है जबकि डिमांड 35 प्रतिशत थी.
मांग और आपूर्ति में असंतुलन की वजह से दिल्ली, हरियाणा और यूपी समेत उत्तर भारत के राज्यों में ऑक्सीजन की
किल्लत देखने को मिली. वहीं पूर्व के राज्यों से ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सप्लाई
चैन तैयार नहीं थी. क्योंकि इन राज्यों के बीच दूरी काफी अधिक थी. लेकिन भारत
सरकार ने सप्लाई चैन पर काम किया. हालांकि इसे करने में थोड़ा वक्त लगा और यह वही
समय था जब दिल्ली समेत उत्तर भारत के राज्यों में ऑक्सीजन की डिमांड सबसे ज्यादा
थी.
क्या अब
सप्लाई चेन स्थापित हो गई है?
देश में जारी
ऑक्सीजन की मांग की आपूर्ति को पूरा करने की पर्याप्त क्षमता है और इसकी सप्लाई के
लिए सब मिलकर काम कर रहे हैं. भारतीय सेना भी ऑक्सीजन की सप्लाई के काम में शामिल
है.
अस्पतालों में
PSA
प्लांट बैकअप के तौर पर रखना सही है. अगर लिक्विड ऑक्सीजन
की सप्लाई में समस्या होती है तो इमरजेंसी में प्लांट का इस्तेमाल किया जा सकता
है. हालांकि इन प्लांट्स को लगाना और इनका मेंटनेंस करना इतना आसान नहीं है. यही
वजह है कि बड़े-बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन के प्लांट्स नहीं है.
अगर कोरोना
केस बढ़े तो ऑक्सीजन को लेकर क्या तैयारी?
फिलहाल देश
में रोजाना 9200 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है और हम 8500 टन का उपयोग
कर रहे हैं. इसलिए हमारे पास अतिरिक्त ऑक्सीजन है. हालांकि लॉकडाउन और अन्य
पाबंदियों से कोरोना के केसों में कमी आई है और हम चाहते हैं कि यह स्थिति बरकरार
रहे.
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