ब्लैक फंगस: खतरा, बचाव के उपाय और सुरक्षा
म्यूकरमाइकोसिस इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में
बहुत तेजी से फैलती है जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता है। ब्लैक
फंगस मरीज के दिमाग,
फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में
कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है। कोरोना से तबाही के बीच म्यूकरमाइकोसिस
यानी ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है. केंद्रीय
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों की
पहचान कर इससे बचने की सलाह दी है,
जो कि मुख्यतौर पर महाराष्ट्र में कई मरीजों में देखे गए
हैं. हर्षवर्धन ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में बताया कि जागरूकता और
शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इसके खतरे से बचा जा सकता है.
किन लोगों को खतरा-
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक,
कुछ खास कंडीशन में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का
खतरा बढ़ता है. अनियंत्रित डायबिटीज,
स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे
समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना,
किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर
या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का
खतरा बढ़ सकता है.
कैसे बनाता है शिकार-
एक्सपर्ट्स के मुताबिक,
हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति
फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी
विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट,
रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.
ब्लैक फंगस से बचने के लिए क्या करें- हाइपरग्लीसीमिया (ब्लड शुगर) को कंट्रोल रखें. कोविड-19 से रिकवरी के बाद भी
ब्लड ग्लूकोज का लेवल मॉनिटर करते रहें. स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर्स की सलाह पर ही
करें. ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान ह्यूमिडिटीफायर के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल
करें. एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करें.
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