चित्रकूट जेल फायरिंग: पहले ही लिखी जा चुकी थी पटकथा
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में शुक्रवार को कैदियों के
बीच गोली चल गई। इसमें वेस्ट UP
के गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे
मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। मेराज बनारस जेल से भेजा
गया था, जबकि मुकीम काला सहारनपुर जेल से लाया गया था।
घटना की सूचना पर पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस
ने अंशु दीक्षित को सरेंडर करने के लिए कहा,
लेकिन वह लगातार फायरिंग करता रहा। बाद में पुलिस की जवाबी
कार्रवाई में अंशु भी मारा गया।चित्रकूट जेल में गैंगवार के दौरान तीन बंदियों की
मौत अचानक हुई वारदात नहीं है। इसकी पटकथा काफी पहले लिखी जा चुकी थी। इसकी पुष्टि
खुद मामले की जांच करने वाले अफसरों की रिपोर्ट बता रही है। जिस हाई सिक्योरिटी
सेल में अंशु दीक्षित और मेराज को रखा गया था, वहां के CCTV करीब
दो महीने पहले ही बंद किए जा चुके थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बनी जांच कमेटी
के तीन अफसरों कमिश्नर चित्रकूट डीके सिंह,
IG चित्रकूट के. सत्यनारायण और DIG कारागार मुख्यालय संजीव
त्रिपाठी वारदात के करीब 10 घंटे बाद चित्रकूट जेल पहुंचे। अधिकारियों ने सबसे पहले उन पुलिस कर्मियों से
पूछताछ की, जो गैंगवार के समय ड्यूटी पर तैनात थे। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने पहले
से रटे जवाब को दोहराकर किनारा कर लिया। इसके बाद टीम ने इस हाई सिक्योरिटी जेल के
सुरक्षा तंत्र पर नजर दौड़ाई तो पूरी पिक्चर साफ नजर आने लगी। जेल की हाई
सिक्योरिटी सेल के सभी कैमरे खराब मिले।
10 से अधिक शिकायत,
फिर भी ठीक नहीं हुए CCTV:
टीम की जांच में सामने आया कि जिस हाई सिक्योरिटी सेल में
अंशु को रखा गया था वहां और उसके आसपास के सभी कैमरे बंद थे। पूछताछ में
जिम्मेदारों ने बताया कि करीब दो महीने पहले सभी कैमरे एक साथ खराब हो गए। इनके
मेंटीनेंस की जिम्मेदारी इसे लगाने वाली एजेंसी की है। एजेंसी को दर्जनों शिकायती
पत्र भेजे गए लेकिन अभी तक कैमरों की मरम्मत नही की गई।
एजेंसी की लापरवाही थी तो क्यों नही हुई कार्रवाई: जांच
रिपोर्ट से साफ है कि चप्पे-चप्पे पर कैमरों की नजर रखने का दावा करने वाला शासन
जेल जैसी संवेदनशील जगह पर इतने समय तक कैमरे बंद नहीं रहने देगा। अगर ऐसा था भी
तो सवाल उठता है कि इसे ठीक करने में लापरवाही बरतने वाली एजेंसी को ब्लैक लिस्ट
या उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने जैसी कोई ठोस कार्रवाई आखिर क्यों नही की गई?
मुकीम की हत्या करके वापस अपनी सेल में पहुंचा और कुछ
बंदियों को गन पॉइंट पर लेकर जेल के सुरक्षाकर्मियों को ललकारने लगा। इस पर पुलिस
ने घेराबंदी करके अंशु को गोली मारी। लेकिन पूरे घटनाक्रम की एक भी तस्वीर जेल के
उन कैमरों में भी कैद नही हुई जो ठीक-ठाक काम कर रहे थे। दरअसल कैमरों को इस हिसाब
से खराब किया गया था कि वारदात के लिए पर्याप्त दायरा तैयार हो सके।
न्यायिक जांच में अंशु की हत्या पर भी उठता सवाल: CCTV फुटेज
एक तरफ जहां वारदात की तस्वीर साफ कर देता,
वहीं पुलिस के जेल जाने के रास्ते भी खोलता। जेल के भीतर एक
सीमित दायरे में बड़े से बड़े अपराधी को काबू करना पुलिस के लिए मुश्किल काम नहीं
है। घटना के थोड़ी देर बाद ही करीब एक हजार की संख्या में फोर्स जेल पहुंच गई थी।
जरूरत पड़ने पर STF,
ATS जैसी एजेंसियों के माहिर अफसरों और जवानों की मदद ली जा
सकती थी। लेकिन पुलिस ने ऐसा कोई कदम नही उठाया और अंशु को गोली मार दी। इसके पीछे
पुलिस जो मजबूरी बता रही है घटना की न्यायिक जांच होने पर CCTV फुटेज
इसकी सच्चाई खोल सकता था। उस हालत में एनकाउंटर में शामिल पुलिस वाले भी फंस सकते
थे।
मुख्तार पर पल-पल नजर,
फिर अंशु पर क्यों मेहरबानी: बस्ती जिला जेल में बंदियों के
विद्रोह में हुई गोलीबारी में एक बंदी की मौत के बाद जेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर
चौकन्ना हुआ। इसके बाद सभी जेलों को कैमरों के इंट्रीग्रेटेड कमांड सिस्टम से जोड़ा
गया। इससे जेल मुख्यालय प्रदेश की सभी 72 जेलों में हो रही हल पल की गतिविधियों पर नजर रखता हैं। 7 मई को
माफिया मुख्तार अंसारी को बांदा जेल लाया गया तो उनके हाई सिक्योरिटी सेल में
अतिरिक्त कैमरे लगाए गए। इन कैमरों से मुख्तार की हर हरकत पर जेल मुख्यालय नजर रख
रहा है। सवाल उठता है कि चित्रकूट जेल की जिस सेल में प्रदेश के हार्डकोर क्रिमिनल
बंद थे उनके कैमरे में नजर न आने पर भी जेल मुख्यालय खामोश क्यों बैठा था?
क्या बोले DG
जेल?
महानिदेशक जेल आनंद कुमार का कहना है कि मामले की FIR दर्ज
हो चुकी है। पुलिस की जांच में सब सामने आएगा। जेल अधीक्षक और जेल समेत पांच
पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
क्या था मामला?
चित्रकूट जेल में शुक्रवार (14 मई) को कैदियों के बीच गोली
चल गई। इसमें वेस्ट UP
के गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे
मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। मेराज बनारस जेल से भेजा
गया था, जबकि मुकीम काला सहारनपुर जेल से लाया गया था। पुलिस ने अंशु दीक्षित को
सरेंडर करने के लिए कहा,
लेकिन वह फायरिंग करता रहा। बाद में पुलिस की जवाबी
कार्रवाई में अंशु भी मारा गया।
CM
योगी आदित्यनाथ ने शूटआउट के मामले में DG जेल से
6 घंटे में रिपोर्ट तलब की। कमिश्नर डीके सिंह, DIG के सत्यनारायण और ADG जेल
संजीव त्रिपाठी मामले की जांच की है। वहीं,
देर शाम चित्रकूट के जेल अधीक्षक एसपी त्रिपाठी, जेलर
महेंद्र पाल समेत पांच कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। कारागार विभाग में
बड़े फेरबदल भी हुए। संजीव त्रिपाठी को DIG
जेल प्रयागराज और अयोध्या रेंज का प्रभार दिया गया। वहीं, शैलेंद्र
कुमार मैत्रेय को DIG
कारागार मुख्यालय और DIG
लखनऊ परिक्षेत्र का प्रभार मिला है। इनके अलावा अशोक कुमार
सागर को चित्रकूट जेल का सुपरिटेंडेंट बनाया गया। जबकि सीपी त्रिपाठी को चित्रकूट
का जेलर नियुक्त किया गया।
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