1 साल में हुए 12 करोड़ बेरोजगार लोगों की कैसे मनेगी दिवाली ?

 

दिवाली के त्योहार पर बाजारों की रौनक में गिरावट के साथ-साथ समान की बिक्री पर भी भारी गिरावट दिखाई दे रही है। पहले के मुताबिक इस साल बाजारों की भीड़ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। बीते मंगलवार को धनतेरस के दिन हर शख्स ने कुछ न कुछ खरीदा होगा,लेकिन क्या लोग अपनी दिवाली उस तरह से मना पाएंगे जैसे पहले मना पा रहे थे।

मुझे तो नहीं लगता क्योंकि किसी भी सामान को खरीदने के लिए आप की जेब में पैसे होने जरूरी हैं। जो कि लोगों के पास नहीं हैं,ये मैं नहीं कह रहा हू,खबरों में चले आकड़े ये बताते हैं। बीते एक साल से देश की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है। हर सेक्टर से बड़ी तादात में लोगों की नौकरियां चली गई हैं। देखा जाए तो देश में बेरोजगार लोग दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तो उनकी नौकरी गई और दूसरा बेतहाशा महंगाई।

बेरोजगार लोगों को अपनी जरूरत की चीजों को खरीदने के लिए भी सौ बार सोचना पड़ रहा है। फिर दीवाली जैसे त्योहार पर वो खरीदारी करने के लिए कैसे सोच सकते हैं। देश वासियों की समस्याएं बेराजगारी तक ही सीमित नहीं हैं,उनके पास और भी ऐसी समस्याएं हैं जिससे कोई परिचित नहीं है। तंगी के चलते लोगों के घरों में खाना नहीं बन रहा। बच्चों के पहनने के कपड़े नहीं है,उनके पास बची है तो सिर्फ खुद को सर्दी और बारिश से बचाने के लिए एक छत,कुछ लोगों का तो वो भी नीलाम हो गया है।

इन सब कठिनाईयों का सामना कर रहे कई दिहाड़ी मजदूर,पेशवर कामगार बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं। आप खुद अंदाजा लगाइए कि इनके घरों में दिवाली कैसे मनेगी?


एक तरफ जहां हर सेक्टर में लोगों के हाथ से रोजगार धड़ाधड़ निकल रहा है वहीं रॉकेट की तरह महंगाई भी बढ़ती ही जा रही है। अब बेरोजगारों के लिए आगे कुआँ और पीछे खाई जैसी स्थिति बनी हुई है। बीते मंगवलार को सरकार ने धनतेरस पर भी 35 पैसा प्रति लीटर पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए हैं। दिल्ली में पेट्रोल 110.04 रुपये और डीजल के दाम 98.42 रुपए प्रति लीटर है। वहीं घरेलू गैस के दाम 859 रुपए प्रति सिलिंडर है। भाजपा नेतृत्व की केंद्र सरकार ने दिवाली के तोहफे के रूप में 19 लीटर वाले कमर्शियल सिलिंडर पर 268 रुपए बढ़ा दिए हैं। हर चीज के बस दाम ही बढ़ रहे हैं। कुकिंग ऑयल के दामों में भी 52% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। देश की महंगाई दर 4.35+ से ज्यादा है। वहीं लोगों की सालाना आय में 5% की गिरावट आई है। यानि जिनकी सालाना आय 1.34 हजार रुपये थी उनकी सलाना आय अब 1.27 लाख रुपए हो गई है। देश की मौजूदा जीडीपी -8.0 है।

गौरतलब है कि देश में बीते एक साल में रोजगार के क्षेत्र में भारी संकट आया है, पिछले लॉकडाउन के असर से अर्थव्यवस्था आज तक उभर नहीं पाई। लोगों के हाथों से नौकरियां गयीं और साथ आमदनी भी कम हुई है। लोगों की आमदनी में 5.4% की गिरावट आई है और साथ ही महगांई आसमान छू गयी। इसका असर त्योहारों पर देखने को मिल रहा है। पिछले साल की तुलना में देखें तो लोगों ने त्योहार के समय खरीदारी कम कर दी है। उनके लिए दैनिक जरूरतों की व्यवस्था करना ही चुनौती का काम है। 2020 के अप्रैल महीने में 70 लाख लोग बेरोज़गार हुए थे।

सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआइई) के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 80% प्रतिशत कामगार अपने रोजगार से हाथ धो बैठे थे। हालात इतने खराब थे कि कई लोगों को दो बार का भोजन जुटाना मुश्किल हो रहा था। कोरोना महामारी आने से पहले 40.35 करोड़ में सैलरी वाली नौकरियां की संख्या 8.5 करोड़ थी। अब इस 39 करोड़ में सैलरी वाली नौकरियों की संख्या 7.3 से 7. 4 करोड़ के बीच रह गई है। 1.35 करोड़ पेशवर लोगो की नौकरियां हाथ से निकल गई हैं,वहीं जो बचे हैं उनकी आमदनी में भारी गिरावट आई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी अपने आकलन में बताता है कि महामारी के बाद 97% भारतीय गरीबी के तरफ बढ़े हैं।

 

 

 

 

 

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