पंजाब की राजनीति में सियासी उबाल दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। सियासत की बगावत शुरू हुई थी नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच और इन दोनों नेताओं की बगावत ने पंजाब की राजनीति को बागी बना दिया। अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कुर्सी संभाली। पंजाब के नए मुखिया के कुर्सी संभालते ही कुछ दिनों तो सब ठीक रहा,लेकिन फिर शुरू हो गया किस्सा बगावत का।
नेताओं के बीच खीच-तान हुई। पार्टी में कलय मची। राजनीति
इतनी गर्मा गई कि इसका असर पंजाब कांग्रेस के साथ-साथ पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष
सोनिया गांधी पर भी पड़ा।
पंजाब कांग्रेस की बगावत के बीच आई पाकिस्तान की अरूसा आलम। नवनिर्वाचित पंजाब के मुखिया के सलाहकार ने पूर्व मुखिया पर अरूसा आलम को लेकर तंज कसा। जब कोई आप पर भड़के तो जवाब देना तो बनता है। वही हुआ पंजाब में... पलटवार करते हुए कैप्टन के सलाहकार ने अरूसा आलम और सोनिया गांधी की तस्वीर साझा करके तंज कसा और इसका असर ये हुआ की अरूसा का बयान आया कि अब वे कभी भारत नहीं आएंगी।
इतना सब हो जाने के बाद,अभी भी पंजाब की राजनीति में खलबली मची है। दरअसल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को एक नया राजनीतिक दल बनाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा,मैं एक पार्टी बना रहा हूं। अब सवाल ये है कि पार्टी का नाम क्या है,ये मैं आपको नहीं बता सकता क्योंकि ये मैं खुद नहीं जानता। जब चुनाव आयोग पार्टी के नाम और चिन्ह को मंजूर करता है,मैं आपको बता दूंगा। उन्होंने ये भी कहा है कि उनकी पार्टी राज्य के सभी 117 सीटों पर चुनाव भी लड़ेंगी।
नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि
जहां से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू चुनाव लड़ेंगे,वहां से वे
भी लड़ेंगे। हालांकि कांग्रेस से अलग होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही
इस बात का संकेत दिया था कि वे जल्द नई पार्टी का गठन करेंगे।
बात अगर अमरिंदर कि करें तो वे 10 साल सेना में रहे हैं और 9.5 साल पंजाब के गृह मंत्री रहे। उन्होंने 1980 में पहली बार लोकसभा में सीट जीती थी और इसी के साथ शुरू हुआ कैप्टन का राजनीतिक सफर। उन्हें पंजाब विधानसभा में पांच बार सदस्य के रूप में चुना गया,जिसमें तीन बार उन्होंने पटियाला शहर का प्रतिनिधित्व किया। वे 1 सितंबर 2014 से 23 नवंबर 2016 तक रक्षा मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति और रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य रहे हैं।
साल 2015 में वे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने
गए। इसके बाद साल 2016 में 23 नवंबर 2016 को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और पूरी तैयारी
के साथ पंजाब विधानसभा चुनावों में जुट गये।
2017 में पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव जीतकर पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। फिलहाल कांग्रेस का इतना मजबूत स्तंभ रहे अमरिंदर सिंह ने अब पार्टी छोड़ दी है और नया दल बनाने के साथ-साथ पंजाब की सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि क्या पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी को खड़ा कर पाएंगे।
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