ज़िका वायरस, इन दिनों चारों तरफ इसी का आतंक मचा है। इस रहस्यमयी वायरस ने सबकी नींद हराम कर दी है। वास्तव में यह वायरस सबसे पहले बंदरों में देखा गया था। वर्ष 1947 में यूगांडा स्थित ज़िका के जंगलों में जो बंदर थे वह इस वायरस से संक्रमित थे और इसी वजह से इस वायरस का नाम ज़िका पड़ा था।
कारण और ज़िका वायरस के बारे में जानकारी
ज़िका वायरस भी वही मच्छर की प्रजाति से
फैलता है जिससे डेंगू भी फैलता है, यानी
एडीस मच्छर। ज़िका वायरस सलाइवा और सीमेन जैसे शरीर के तरल पदार्थ के आदान-प्रदान
से संक्रामक हो सकता है। यह मनुष्यों के खून में भी पाया जा सकता है। रक्तदान के
14 दिनों के भीतर अगर व्यक्ति को ज़िका वायरस संक्रमण के साथ निदान किया गया है,
तो रक्त दान नहीं करना ही उचित है।
लक्षण
ज़िका वायरस के लक्षण डेंगू के समान हैं।
किसी व्यक्ति को संक्रमित मच्छर से काटे जाने के बाद थोड़ा ज़िका बुखार और चकत्ते
दिखाई दिए जा सकते है। कॉंजक्टिवेटाइटिस, मांसपेशियों
और जोड़ों में दर्द, और थकावट कुछ अन्य लक्षण हैं जिन्हें
महसूस किया जा सकता है। लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक चलते हैं।
बचाव
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