चीन का यह एचएल-2एम प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) में उसकी भागीदारी के लिए अहम तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा। आईटीईआर दुनिया का सबसे महात्वाकांक्षी ऊर्जा प्रोजेक्ट है। दुनियाभर के 35 देश इस प्रोजेक्ट में शामिल है। इनमें चीन और भारत का नाम भी है। ऐसे में चीन का यह प्रोजेक्ट आईटीईआर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस परियोजना में 10 प्रतिशत का साझेदार है।
ये प्रयोग चीन के अन्हुई प्रांत की राजधानी हेफ्यू में किया गया। प्रोजेक्ट के डायरेक्टर सॉंग युंताओ ने बताया है कि ये चीन की फिज़िक्स और इंजीनियरिंग में बड़ी सफलता है। इस प्रयोग की सफलता ये तय करती है कि चीन जल्द ही अपना न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी स्टेशन तैयार कर लेगा।
चीन की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी। चीन ने कृत्रिम सूरज को एचएल-2एम (HL-2M) नाम दिया है, इसे चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाना भी है। परमाणु फ्यूजन की मदद से तैयार इस सूरज का नियंत्रण भी इसी व्यवस्था के जरिए होगा। चीन इस प्रोजेक्ट के जरिये 150 मिलियन यानि 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान जेनरेट होगा। पीपुल्स डेली के मुताबिक,यह असली सूरज की तुलना में दस गुना अधिक गर्म है। जैसा कि चीन के प्रयोग में उत्पन्न हुआ है। आपको बता दें कि असली सूर्य का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है।
इस प्रोजेक्ट यानी
आईटीईआर की कुल लागत 22.5 बिलियन डॉलर है। दुनिया के कई देश सूरज बनाने की कोशिश
कर रहे थे,लेकिन
गर्म प्लाज्मा को एक जगह रखना और उसे फ्यूजन तक उसी हालत में रखना सबसे बड़ी
मुश्किल आ रही थी।
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