सखी सईयां तो कछु नहीं कमात हैं,फिर भी महंगाई डायन खाए जात है

 


देश में थोक महंगाई दर लगातार बढ़ती जा रही है। खाने के सामान से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दामों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।

65 रूपये में मिलने वाला पेट्रोल अब 104 रू प्रतिलीटर हो गया है। वही हाल डीजल का भी है। डीजल के दाम कभी  71 रू हुआ करते थे और अब 95 रू के आस-पास पहुंच गया है।


बात अगर खान-पान की चीजों की करें तो दालों का भाव 120 रू से लेकर 180 रू तक है। वहीं कणुआ तेल की कीमत 200 रू प्रतिलीटर तक पहुंच गई है। चीनी के दाम 44 रू प्रति किलो हैं और गुड़ 55 रू पार पहुंच चुका है।




सब्जियों का भी वही हाल है सब्जियों
  के दामों में हुई बढ़ोत्तरी का कारण पेट्रोल-डीजल और दवाओं के लगातार बढ़ रहे दाम हैं।

किसानों को अपने खेतों में तीन-तीन घंटे इंजन चलाकर सब्जियों की सिंचाई करनी पड़ती है। खाद डालनी पड़ती है तब कहीं वो अपनी फसल बाजार में ला पाते हैं। इसके अलावा इनकी मेहनत,रख-रखाव की जिम्मेदारी और भी बहुत सारी चीजों से सब्जियों को बचाकर किसान आम लोगों तक पहुंचाते हैं और इसी वजह से सब्जियों के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है।

सब्जियों के अलावा दवाओं के दामों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। सर्वाधिक बिकने वाली बुखार की दवा पैरासिटामाल का दाम डेढ़ गुना बढ़ गया है। एक माह पहले तक 30 रुपये में मिलने वाले 10 गोली के पत्ते की कीमत इस समय 45 रुपये हो गई है। इसी तरह एंटीबायोटिक व मल्टीबिटामिन दवाओं के दाम में भी वृद्ध हुई है।

महंगाई की मार ने कमजोर आय वर्ग के लोगों के सामने बड़ी दिक्कत आ गई है। मजबूरी में उन्हें ये रोज मर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजें महंगे दाम पर खरीदनी पड़ रही हैं।

महंगाई का ये स्थर दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इसको रोकने के लिए अभी तक तो कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। हालांकि विपक्ष इस महंगाई को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर होता आ रहा है।

हालांकि इससे पहले भी अन्य सरकारों में भी महंगाई होती थी और विपक्ष विरोध करता रहता था,लेकिन कभी विपक्ष के विरोध से किसी को कोई फायदा नहीं मिला।

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