World Suicide Prevention Day


 


आजकल लोगों में अकेलापम लगातार बढ़ रहा है, इसी वजह से आत्महत्या कर लेते 

हैं. पिछले कुछ सालों में भारत ही नहीं दुनिया भर में खुदकुशी की घटनाएं तेजी से बढ़ 

रही है. कोरोना काल में आत्महत्या का रेट लगातार बढ़ रहा है, लोगों में हताशा और 

निराशा बढ़ रही है.

आजकल हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं कई सारी चीजों से लोगों का मोह 

भंग हो रहा है आत्महत्या के बढ़ते मामलो को रोकने के लिए इसे 2003 में शुरु किया 

गया था. इस दिन को मनाने की शुरुआत 10 सितंबर 2003 को इंटरनेशनल 

एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 

मिलकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश आत्महत्याओं को रोका जा सकता हैदेने के 

लिए की.


इससे पहले कि बहुत देर हो जाए
, लक्ष्य है मुद्दों पर प्रकाश डालना, वो भी उन लोगों तक पहुंचने की 

उम्मीद में जो संघर्ष कर रहे हैं. महामारी के दौर में नौकरियां छिन जाने, अपने करीबियों को खोने 

और अकेलेपन ने लोगों को चिंतित, उदास और अतिसंवेदनशील बना दिया है. जिसके चलते भी कई 

लोग इस गलत रास्ते यानी आत्महत्या की तरफ मुंह करके खड़े हैं.



ऐसी क्या परेशानी लोगों के बीच जिससे उठाना पड़ता यह कदम ?

यह सिलसिला लोगों में पारिवारिक समस्याओं के चलते  देखने को मिलता है जिससे 

आखिर में वो अपना सफर खत्म कर लेते हैं. तमाम लोग अपनी नौकरी या फिर 

शादीशुदा समस्याओं की वजह से  भी परेशान होकर ऐसा कदम उठाते हैं. वहीं 

एग्जाम और बेरोजमागरी जैसी अहम चीजें भी इस लिस्ट में हैं. अकेलेपन का शिकार 

होने की वजह से व्यक्ति आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाता है.



डाले नज़र डेटा पर

WHO के आंकड़ों के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। हर 

साल लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक 

संख्या में लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। यह काफी डराने वाला सच है। इससे 

पता चलता है कि आज के समय  में लोगों में कितना ज्यादा मानसिक तनाव है। इस 

डेटा के मुताबिक दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के 

लोग करते हैं.




पहचान है ज़रूरी
जब कोई मानसिक तौर से परेशान रहता है तो ऐसे में उसके व्यवहार में कुछ समय से आपको 

बदलाव देखने को मिलेंगे. ऐसे लोग अक्सर चीजों से और लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं. साथ ही 

ऐसे लोग सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं.




एक पहल मदद की ओर 

जरुरी है कि हम अपनों का साथ न छोड़े उनके आंगे-पीछे जादातर रहे.उनके 

मनोबल को प्रति दिन बढ़ाए,दवाओं में न हो कोई लापरवाही साथ ही मैडिटेशन है 

बहुत जरुरी |


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