आज बात करेंगे एक ऐसी माँ की जो मां बनने का सुख लेना चाहती थी | तीन बार गोद लेने की
कोशिश के बाद , फिर आखिर स्पर्म डोनेशन से मां बनीं और दिया अगस्त में एक बेटे को जन्म.
भोपाल में एक महिला ने रीति-रिवाजों को तोड़ जिसे करना आसान नहीं था, लेकिन वो अपने
फैसले पर डटी रहीं। काफी मंथन करने के बाद उन्होंने बिना पार्टनर मां बनने का निर्णय लिया
और स्पर्म डोनेशन के माध्यम एक बेटे को जन्म दिया। इस निर्णय में उनके परिवार और दोस्तों ने
मानसिक और भावनात्मक सहयोग किया। उन्हें अपने फैसले पर गर्व है।
यह कहानी है, भोपाल के ऑल इंडिया रेडियो में न्यूज ब्रॉडकास्टर के रूप में कार्यरत संयुक्ता बैनर्जी (37) की। उन्हें तीन बार बच्चा गोद लेने के ऑप्शन मिले, लेकिन बच्चा गोद नहीं मिल पाया। इसके बाद एक फैमिली डॉक्टर ने उन्हें आईसीआई तकनीक की जानकारी दी। इस पर अमल करके उन्होंने अपने मां बनने के सपने को पूरा किया।
इनकी शादी 20 अप्रैल 2008 में हुई थी। लेकिन पति को बच्चा नहीं चाहिए था। सोच के थोड़ा
अजीब लगता है कि आखिर क्यों ? उन्हें हमेशा से मातृत्व का सुख लेना था। पर साथ रहकर यह
मुमकिन नहीं था | इस सोच को ख़तम करने के लिए 2014 में लिया अपने पति से अलग होने का
फैसला | 2017 में तलाक हो गया, फिर की नए सिरे से जिंदगी शुरू करने का निर्णय। वो होता
है न कि राह जितनी
अलग हो उतनी ही कठिन भी होती है.
इसलिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण से बच्चा गोद लेने के लिए दो बार रजिस्ट्रेशन किया,
लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद फैमिली डॉक्टर ने सेरोगेसी, आईवीएफ, आईसीआई
और आईयूआई जैसी तकनीक की जानकारी दी। इसमें बिना पार्टनर के भी मां बना जा सकता
था। उन्होंने आईसीआई तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया। इसमें केवल स्पर्म डोनेशन लेना होता है, वह भी बिना किसी के संपर्क में आए। इसमें डोनर की पहचान गोपनीय रहती है। काफी इंतजार के बाद फरवरी में पता चला कि उन्होंने कंसीव कर लिया है। फिर डॉक्टर की देखरेख में 24 अगस्त को बेटे को जन्म दिया। वह सपना पूरा हुआ जिसका इंतजार था.
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