इन उपायों से महिलाएं बच सकती है वेजाइनल इंफेक्शन और सर्वाइकल कैंसर से…

महिलाओं में वेजाइनल डिस्चार्ज होना सामान्य बात यह है। यह एक नेचुरल प्रक्रिया है। इसे कोई बीमारी नहीं समझना चाहिए। यह सभी महिलाओं में रीप्रोडक्टिव एज से होना शुरू हो जाती है, लेकिन इसमें छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार वेजाइनल डिस्चार्ज के साथ आपको जलन या खुजली हो तो डॉक्टर्स से सलाह भी लेना चाहिए। यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, इसलिए डॉक्टर्स से ट्रीटमेंट कराने पर यह समस्या भी खत्म हो जाती है। यह कहना है स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं ग्वालियर ऑब्सटेट्रिक एंड गायनाकोलॉजिकल सोसायटी (गोग्स) की अध्यक्ष डॉ. उर्मिला त्रिपाठी का।

डॉ. त्रिपाठी के अनुसार कई बार अनदेखी के कारण पोस्ट मेनोपॉज एज में बॉडी में हॉर्मोन बनना कम हो जाता है। जिससे वेजाइनल डिस्चार्ज नहीं होता। यदि ऐसा हो रहा है तो कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए महिलाओं को 35 की उम्र के बाद हर तीन साल में पेपस्मियर टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा 60-65 साल की उम्र में सब डिस्चार्ज नॉर्मल आ रहा है तो यह टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। इससे वेजाइनल इंफेक्शन और सर्वाइकल कैंसर की सेल्स का पता लगाया जाता है।

उन दिनों में कुछ भी अलग हो तो डॉक्टर से मिलें

आमतौर पर गर्ल्स को व्हाइट डिस्चार्ज उनके पहले मासिक धर्म के बाद शुरू होता है। फिर यह हर महीने पीरियड के पहले और बाद में हो तो सामान्य ही माना जाता है। अगर इसके साथ कुछ परेशानियां ना जुड़ी हों तब। कई स्थितियों में व्हाइट डिस्चार्ज कम या ज्यादा हो सकता है। गर्भावस्था, हॉर्मोन्स में बदलाव या वेजाइनल इंफेक्शन के कारण डिस्चार्ज की मात्रा कम या अधिक हो सकती है। साथ ही इसके कलर में बदलाव होता है और इससे तेज स्मेल आ सकती है। अधिकतर महिलाओं को पीरियड सर्कल के दौरान कई प्रकार का व्हाइट डिस्चार्ज होता है। इसमें किसी तरह की स्मेल ना आ रही हो तो यह सामान्य है। रुटीन से कुछ अलग लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

क्या होते हैं कारण

  •         प्राइवेट पार्ट की ठीक तरह से साफ-सफाई न रखना
  •          किसी स्थिति में ज्यादा घबराहट होना
  •          बार बार अबॉर्शन कराना
  •          किसी तरह के संक्रमण के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी
  •          लंबे समय तक या अनियमित रक्तस्राव या स्पॉटिंग
  •          एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉयड का उपयोग
  •          मासिक धर्म के माध्यम से हार्मोनल परिवर्तन

डाइट का रखें विशेष ध्यान

डॉ. त्रिपाठी का कहना है कि यदि किसी महिला को इस तरह की समस्या होती है तो वह किसी क्वालीफाइड और अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से ही संपर्क करें। घरेलू या झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज इस बीमारी में और घातक साबित हो सकते हैं। महिलाएं लोकल हाईजीन और सेनेटरी पेड्स के बारे में अपनी डॉक्टर से खुलकर बात करें, तो काफी हद तक इस समस्या से बचा जा सकता है। इससे ऑब्युलेशन के टाइम थोड़ा क्लियर पारदर्शी डिस्चार्ज होता है। जो एक सामान्य प्रक्रिया है। इसलिए इससे लड़कियों को डरने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में उन्हें उचित खानपान और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

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