दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। कोरोना को हराने के लिए वैक्सीनेशन का काम भी जोरों से चल रहा है। इस बीच एक नई रिसर्च में पता चला है कि फ्लू की वैक्सीन से कोरोना के संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है। इतना ही नहीं, फ्लू की वैक्सीन स्ट्रोक, डीप वेन थ्राम्बोसिस (DVT), यानी खून के थक्के जमने और सेप्सिस का खतरा भी घटाती है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी मिलर स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च की है।
वैज्ञानिकों का कहना
है,
‘रिसर्च के दौरान सामने आया है कि
जिन लोगों को 6 महीने पहले फ्लू यानी इन्फ्लुएंजा की वैक्सीन लग चुकी थी,
उनमें कोरोना होने पर इमरजेंसी और ICU
में भर्ती होने का रिस्क कम हो गया।’
कई बड़े देशों के 75
हजार कोरोना संक्रमितों पर हुई रिसर्च
रिसर्चर्स ने यह
निष्कर्ष करीब 75 हजार कोरोना संक्रमितों के डेटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला
है। उनका कहना है कि हर साल फ्लू का टीका लगवाने वाले कोरोना पीड़ितों में स्ट्रोक,
सेप्सिस और रक्त का थक्का बनने का खतरा 40% कम पाया गया है।
फ्लू के खिलाफ टीका लगवाने वाले ऐसे कोरोना मरीजों को ICU
में भर्ती करने की जरूरत भी कम देखी गई है।
रिसर्च में अमेरिका, UK, जर्मनी, इटली, इजराइल और सिंगापुर के मरीज शामिल थे। रिसर्चर्स ने 75 हजार कोविड मरीजों को 37,000 मरीजों के दो ग्रुप में बांटा।
एक ग्रुप में 37
हजार वो मरीज थे जिन्हें कोरोना के संक्रमण से पहले फ्लू की वैक्सीन लग चुकी थी।
वहीं,
दूसरे ग्रुप में कोविड के ऐसे मरीज थे जिन्हें फ्लू की
वैक्सीन नहीं लगी थी।
रिजल्ट में सामने
आया कि जिन लोगों ने फ्लू की वैक्सीन नहीं लगवाई थी उनके ICU
में भर्ती होने का खतरा 20% तक अधिक था। इनके इमरजेंसी में
भर्ती होने का खतरा 58%, सेप्सिस होने की आशंका 45% और स्ट्रोक होने का खतरा 58% तक था।
उन देशों को ये
रिसर्च राहत दे सकती हैं जहां अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं पहुंची
दुनिया के तकरीबन 85 से अधिक देश ऐसे हैं जहां 2023 तक भी कोरोना की वैक्सीन नहीं पहुंच पाएगी,
या फिर पहुंचने की दर काफी धीमी होगी। ऐसे में यह रिसर्च उन
देशों के लिए राहत देने वाली हो सकती है, जहां वैक्सीन नहीं पहुंची, या फिर वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी धीमी है।
भारत में वैक्सीनेशन काफी धीमा
अगर भारत की बात
करें तो,
यहां भी विकसित देशों के मुकाबले वैक्सीनेशन काफी धीमा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार के मुताबिक फिलहाल देश
में 57,518 वेंटिलेटर हैं। देश में अब तक 4.27 लाख लोगों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई,
जिनमें से कई लोगों ने ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी की वजह
से अपनी जान गंवाई। अगर वैक्सीनेशन की बात करें तो अब तक सिर्फ 8.3% भारतीय ही फुली वैक्सीनेटेड हैं,
यानी जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है, जबकि 29.0% लोगों को वैक्सीन की सिंगल डोज ही लगी है। ऐसे में यह
रिसर्च मददगार साबित हो सकती है।
अमेरिका की
यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी मिलर स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स का कहना है,
‘दुनियाभर में अब तक एक छोटी
आबादी को ही वैक्सीन के दोनों डोज लग पाए हैं। ऐसे में इस महामारी में होने वाली
मौतों की संख्या और बीमारी को घटाने की जरूरत है। कोरोना महामारी के दौर में स्टडी
का यह नतीजा बेहद अहम है। हमारा यह अध्ययन दुनिया भर में बीमारी के बढ़ते दबाव को
कम करने में मददगार साबित हो सकता है।’
कोरोना वैक्सीन का विकल्प नहीं फ्लू की वैक्सीन
एक्सपर्ट का यह भी
कहना है फ्लू की वैक्सीन मददगार हो सकती है, लेकिन कोरोना वैक्सीन का विकल्प नहीं हो सकती है। इसलिए
जितना जल्दी हो सके, लोग कोरोना की वैक्सीन जरूर लगवाएं।
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