Doctors Day Special: एक ऐसा डॉक्टर जिसकी ली जाती है शपथ...

Doctors Day Special: एक ऐसा डॉक्टर जिसकी ली जाती है शपथ...

भारत-चीन के बीच एलएसी पर तनाव के दौरान चीन से अनोखी खबर सामने आई है. अब चीन भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस (Dr Dwarkanath Kotnis) की कांसे की प्रतिमा लगाने चल रहा है. इस प्रतिमा का अनावरण अगले महीने उत्तरी चीन के एक मेडिकल कॉलेज में होगा, जहां से पढ़कर निकलने वाले छात्र डॉ कोटनिस की पहले से मौजूद मूर्ति के सामने डॉक्टरी सेवा के लिए शपथ लेते हैं.

मेडिकल कॉलेज में लगाई जाएगी कांस्य प्रतिमा

डॉक्टर कोटनिस को चीन में 'के दिहुआ' के नाम से भी जाना जाता है. उनकी कांसे की प्रतिमा शिजिआझुआंग के मेडिकल कॉलेज में लगाई जा रही है. चीन में डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस को उनके चीनी क्रांति में योगदान और बिना किसी स्वार्थ के चीनी नागरिकों के इलाज के लिए याद किया जाता है. डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की चीनी क्रांति के अगुवा माओ जेदोंग भी तारीफ करते थे. वो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान साल 1942 में अपनी मौत तक चीनियों का इलाज करते रहे.

शोलापुर में जन्मे, 1938 में चीन गए थे डॉक्टर द्वारकानाथ

डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस महाराष्ट्र के शोलापुर से थे. वो 1938 में चीन जाने वाली उस 5 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम में थे, जिसे कांग्रेस ने चीनी लोगों की मदद के लिए भेजा था. उन्होंने साल 1942 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of China) की सदस्यता ले ली थी. हालांकि उसी साल उनकी मौत हो गई थी. अपनी मौत के समय डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस महज 32 वर्ष के थे.

चीन में ही शादी की, वहीं दफन हो गए

डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस ने 1941 में चीन की गुओ किंगलान से शादी की. जिनकी मौत साल 2012 में हुई. डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की प्रतिमाएं चीन के कई शहरों में लगी हैं. डॉक्टर कोटनिस के नाम पर ही शिजिआझुआंग मेडिकल कॉलेज का नाम 'के दिहुआ मेडिकल साइंस सेकंडरी स्पेशलाइज्ड स्कूल' रखा गया है.

एक कहानी ऐसी भी..

दरअसल, 1938 में जब भारत गुलाम था तो जापान युद्ध के दौरान चीन के सैनिकों की मदद के लिए भारत से 5 सदस्यीय डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम इंडियन मेडिकल मिशन टीम के तौर पर चीन भेजी गई थी। डॉक्टरों की इस टीम में एम अटल, एम चोल्कर, द्वारकानाथ कोटणीस , बीके बासु और डी मुखर्जी जैसे बेहद युवा डॉक्टर शामिल थे। इन पांचों में से कोटणीस को छोड़कर सभी वतन लौटे, लेकिन उनका वहीं निधन हो गया था। चीन में चाइनीज पीपुल्स एसोसिएशन फॉर फ्रेंडशिप विद फॉरेन कंट्रीज (CPAFFC) ने उन्हीं की 110वीं जयंती की याद में एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री रिलीज की है, जिसमें उस भारतीय युवा और होनहार डॉक्टर की विरासत पर चर्चा की गई है। खास बात ये है कि यह आयोजन ऐसे वक्त में हुआ है, जब लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने युद्ध से ठीक पहले वाली स्थिति में हैं। इस दौरान सीपीएएफएफसी के चेयरपर्सन लिन सॉन्गटियन ने भारत-चीन तनाव का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों के युवा स्टूडेंट इसके बावजूद डॉक्यूमेंट्री बनाने से नहीं रुके। बल्कि, कोटणीस को याद करने के लिए उन्होंने चीन और भारत के बीच शांति और मित्रता की अपनी गहरी आशा को शॉर्ट वीडियो में शामिल किया है। इस कार्यक्रम में नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ मा जिया भी शामिल हुए।

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