जायकोव-डी को मंजूरी मिलती है तो यह देश में
पांचवीं अप्रूव्ड वैक्सीन होगी। दो दिन पहले ही अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना को कोरोना
वैक्सीन को DCGI ने मंजूरी दी है। इससे पहले
कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V को
अप्रूवल मिला था।
जायकोव-डी के फेज-3
ट्रायल 28,000 लोगों पर किए गए थे। इनमें 1000
ऐसे थे, जिनकी उम्र 12-18 साल थी। कंपनी ने कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान ये ट्रायल किए थे।
जायडस कैडिला का कहना है कि उसकी वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर भी प्रभावी
है।
भारत में अभी लगाई जा रही वैक्सीन डबल डोज
हैं। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन और स्पुतनिक लाइट जैसी
सिंगल डोज वैक्सीन भी हैं, जो आने वाले महीनों में भारत में
आ सकती हैं, लेकिन जायकोव-डी वैक्सीन इन सभी से अलग है। इस
भारतीय वैक्सीन के एक या दो नहीं बल्कि तीन डोज लगाए जाएंगे।
दुनिया की पहली DNA
बेस्ड वैक्सीन होगी
जायकोव-डी एक DNA-प्लाज्मिड वैक्सीन है। ये वैक्सीन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए
जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती है। जिस तरह अमेरिका समेत कई देशों में लग रही
फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए mRNA का
इस्तेमाल करती हैं, उसी तरह ये प्लाज्मिड-DNA का इस्तेमाल करती है।
भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
देश में फिलहाल सीरम सीरम इंस्टीट्यूट की
कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया
जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-V को भी भारत में
इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा DRDO ने
कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी
इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे
पानी में घोलकर दिया जाता है।
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