वर्ल्ड एड्स
वैक्सीन डे: जानिए इसके बारे में सब कुछ
1997 में 18
मई को मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा एक
भाषण दिया गया था। इसी के आधार पर विश्व एड्स टीकाकरण दिवस को मनाने का निर्णय
लिया गया था। इस भाषण में ही उन्होंने आने वाले एक दशक में एड्स को टीके के माध्यम
से खत्म करने की बात कही थी। इस भाषण के बाद से संपूर्ण विश्व में लोगों को इस बात
का विश्वास दिलाया गया कि एड्स को खत्म किया जा सकता है। लोगों में एड्स को लेकर
जो भय था उसे दूर करने का प्रयास किया गया।
80 के दशक का
समय वह था कि जब किसी को पता चल जाता था कि उसे एड्स है तो आने वाले दो साल में उसकी मौत हो जाती
थी क्योंकि ये वायरस सबसे पहले इंसान के लिंफेटिक सिस्टम पर हमला करता है। एचआईवी
वायरस रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। आजतक भी एचआईवी की कोई दवा नहीं बनी
है लेकिन टीके के माध्यम से इससे खुद का बचाव अवश्य किया जा सकता है।
ऐसे मनाया
जाता है विश्व एड्स टीकाकरण दिवस
विश्व एड्स
टीकाकरण दिवस पर वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों के बीच एड्स के टीके को लेकर चर्चाएं
होती हैं। मेडिकल कॉलेज के छात्रों को एड्स टीके के इतिहास एवं इससे जुड़ी
महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया जाता है। आने वाले समय में वैक्सीन को लेकर और
क्या संभावनाएं बन सकती हैं, इन पर भी विचार-विमर्श किया जाता है। लोगों के बीच जागरूकता
फैलाई जाती है, उन्हें एड्स की वैक्सीन का महत्व समझाया जाता है।
इतने सालों बाद भी लोगों में एड्स को लेकर जागरूकता कम ही है। लोग
इसके लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं। एड्स के लक्षणों में बुखार,
ग्रंथियों में सूजन, गले में खराश, रात में अधिक पसीना आना, मांसपेशी में दर्द, सिर दर्द,अत्यधिक थकान, शरीर पर चकत्ते शामिल हैं। समय पर इन लक्षणों के बारे में
चिकित्सक से संपर्क करना बहुत आवश्यक है।
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