बंद करो ये दिखावा..

लीजिये आज हम फिर से हाज़िर हैं एक नए और रोचक कविता के साथ. जिसको लिखा है हमारे एक पाठक ने. तो चलिए बिना देर किये पढ़ते हैं उनकी लिखी रचना: बंद करो ये दिखावा

क्यों लेती हैं जन्म बेटियां,  बहनें,बहुएं?

प्रतिबन्ध लग जाना चाहिए इनके जन्म पर,

गर्भ में ही अंश मात्र मिटा देना चाहिए इनका,

नहीं है ये समाज, ये कानून, ये व्यवस्था,ये सरकारें,

इनकी अस्मिता, इनके वजूद और कोमल मन को सहेजने लायक,

बंद कर दो दिखावा दुर्गापूजा, नवरात्रि और कन्या भोज का,

मत करो बर्बाद पैसे बचाओ-बेटी बचाओ इश्तहारों पर,

सिखाओ उनको कि मत निकलें घर से, मत करें नौकरी,

आग लगा दें डिग्रियां और प्रशातिपत्रों को,

बता दो चीख चीख के, डाल दो पिघले शीशों सी ये बात,

कि नहीं कर सकते हम तुम्हारी सुरक्षा, नहीं है हम में वो इच्छा वो दम,

हम 370 हटा सकते हैं, मंदिर बनवा सकते हैं, तीन तलाक़ रुकवा सकते हैं,

पर नहीं बना सकते ऐसा सुरक्षा घेरा, ऐसे सख्त कानून,

कि किसी को गर्मी चढ़ने से पहले उसकी हड्डियां कांप जाये..

तो ये थी हमारी आज की रोचक रचना. ऐसी ही रोचक कहानी/कविता पढ़ने के लिए जुड़ें हमारे साथ और अपनी कहानी/कविता पोस्ट करवाने के लिए हमें मेल कीजिये @jmdnewsconnect@gmail.com पर और हमारे साइट को दूसरे प्लैटफॉर्म्स पर फॉलो करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

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