ICMR का दावा: दूसरी लहर कम खतरनाक....

ICMR का दावा: दूसरी लहर कम खतरनाक

अब तक यह बात साबित नहीं हुई थी कि कोरोना हवा में फ़ैल चुका है लेकिन रिसर्चर्स ने यह बात सिद्ध कर दी है कि वायरस ने अब हवा में दस्तक दे दिया है. आखिरकार केंद्र सरकार ने भी मान लिया है कि कोरोनावायरस का संक्रमण हवा में ज्यादा तेजी से हो रहा है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने सोमवार को ये बात कही। हालांकि, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा कि दूसरी लहर कम खतरनाक है।

युवाओं की संक्रमण दर में पिछले साल के मुकाबले इजाफा नहीं

वीके पॉल ने बताया कि पिछले साल आई लहर में जितने लोग संक्रमित हुए, उनमें 30 साल के कम उम्र वाले 31% थे। इस बार की लहर में ये प्रतिशत 32% है। 30 से 45 साल के बीच की उम्र वाले 21% हैं। पिछले साल भी संक्रमितों में इनकी तादाद इतनी ही थी। ऐसे में साफ है कि युवाओं में संक्रमण ज्यादा होने जैसी बात नहीं है।

ICMR के डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि पिछले साल की लहर जितनी खतरनाक थी, उसके मुकाबले इस साल की कोरोना की लहर कम खतरनाक है। ICMR और नीति आयोग ने ये बातें मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के हवाले से कही है। लैंसेट ने कुछ दिन पहले कहा था कि WHO और दूसरी स्वास्थ्य एजेंसियों को अब इस वायरस से लड़ने के तरीके में तुरंत बदलाव करना होगा।

गर्मी में भाप बनकर तेजी से फैल रहा वायरस: रिसर्च

15 महीने के कोरोनाकाल में रिसर्च के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि वायरस गर्मी में बहुत तेजी से फैल रहा है। इससे पहले माना जा रहा था कि वायरस सर्दियों में ज्यादा असर दिखाएगा। भारत सरकार के 17 वैज्ञानिकों के रिसर्च में सामने आया है कि गर्मी के कारण वायरस के फैलाव की क्षमता बढ़ जाती है। सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिकुलर बॉयोलॉजी (CCMB) हैदराबाद के डायरेक्टर डॉ. राकेश के. मिश्रा बताते हैं कि गर्मी के मौसम में सांस तेजी से भाप बन जाती है। ऐसे में जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस छोड़ता है तो वायरस छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाता है। वायरस के अतिसूक्ष्म कण सांस के साथ स्प्रे की तरह तेजी से बाहर आते हैं। फिर देर तक हवा में रहते हैं।

अगर कोई व्यक्ति बिना मास्क उस जगह पहुंचता है तो उसके संक्रमित होने की आशंका होती है। हालांकि, खुले वातावरण में संक्रमण का खतरा कम है, लेकिन अगर किसी हॉल, कमरे, लिफ्ट आदि में कोई संक्रमित व्यक्ति छींक भी ले, तो वहां मौजूद लोगों को संक्रमित होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। हवा में वायरस के असर को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने हैदराबाद और मोहाली में 64 जगहों पर सैंपल लिए। इसमें अस्पतालों के ICU, सामान्य वार्ड, स्टाफ रूम, गैलरी, मरीज के घर के बंद और खुले कमरे, बिना वेंटिलेशन और वेंटिलेशन वाले घर शामिल हैं।

(हर दिल में होते हैं ज़ज्बात, हर मन में हिचकोले लेते हैं ख्यालात कीजिये बयाँ अपने अहसासों को....

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