आखिर क्यों पलायन को मजबूर मजदूर??
कितना बुरा
लगता है न जब ये पता चलता है कि आपकी रोज़ी-रोटी पर अब सवाल उठने वाला है. जब ये
पता चलता है कि अब लॉकडाउन लगने की स्थिति में सब कुछ बंद हो सकता है,
आपको अब पलायन करना पड सकता है. तो चलिए आइये आपको ऐसे ही
कुछ लोगों की कहानी बताते हैं जो पलायन को मजबूर हैं..
घर से निकले
देर हुई है, घर को लौट चलें
गूंगी रातें
धूप कड़ी है, घर को लौट चलें
गजल की ये चंद
लाइनें मुंबई से अपने घर लौट रहे प्रवासियों पर सटीक बैठ रही हैं। पलायन एक्सप्रेस
के तीसरे हिस्से में हम तपती गर्मी में मुंबई से लखनऊ और पटना लौटे प्रवासियों की
आपबीती सुना रहे हैं। ये बेबस लोग दो जून की रोटी के लिए मायानगरी मुंबई गए थे।
लेकिन लॉकडाउन के चाबुक ने ऐसा दर्द दिया कि घर लौटने पर मजबूर हो गए।
मुंबई से लखनऊ
का सफर...
प्रवासियों से
खचाखच भरी ट्रेन। सटकर बैठे लोग। ट्रेन आते ही आपाधापी का माहौल। मुंबई से लखनऊ
पहुंचने वाली स्पेशल ट्रेनों CST- लखनऊ (02533) और पनवेल-लखनऊ ( 01175) के साथ ये देखने को
मिला।
रमन और राजन भाई हैं। पिछले साल लॉकडाउन के बाद जनवरी में दोबारा मुंबई पहुंचे। बहन की शादी के लिए पैसे जुटाने थे, लेकिन फिर से हुए लॉकडाउन ने सब छीन लिया। बड़ी मुश्किल से टिकट लेकर घर लौटे। बस सवाल ये है कि बहन की शादी कैसे होगी?
सुरक्षित रहे तो कुछ भी कर लेंगेअयोध्या के
शिवकुमार 6 महीने पहले ही मुंबई गए थे। इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे,
लेकिन लॉकडाउन के चलते लौट आए। बोले- गांव में जो काम
मिलेगा,
कर लेंगे।
इसी तरह
बहराइच जिले के रहने वाले इब्राहिम बताते हैं कि होटल में काम करते थे। अब घर जा
रहे हैं। कम से कम घर में सुरक्षित तो रहेंगे।
सीतापुर के
रहने वाले मोहम्मद शकील भी एक महीना पहले ही महाराष्ट्र गए थे। रमजान में वापस आए,
लेकिन वापस नहीं जाएंगे। बोले- गांव में खेती करेंगे। जिंदा
हैं तो कुछ भी कर लेंगे।
सोशल
डिस्टेंसिंग नदारद
लखनऊ स्टेशन
के एग्जिट गेट पर पुलिस वाले तो थे, लेकिन यात्रियों को लाइन में खड़ा करने के दौरान सोशल
डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा था। एग्जिट गेट पर 4 लोगों की हेल्थ टीम भी थी। इनमें 2 थर्मल स्कैनिंग और एक एंटीजन टेस्ट के लिए था। एक टेंपरेचर
ज्यादा होने पर यात्रियों का नंबर नोट कर रहा था। हालांकि भीड़ ज्यादा होने के
चलते स्कैनिंग सही से नहीं हो रही थी। 10-15 मिनट में केवल 3 लोगों का एंटीजन टेस्ट हो पा रहा था। स्टेशन पर एंबुलेंस
भी नहीं थी। हालांकि हाल में सरकार की तरफ से जारी एडवाइजरी के मुताबिक ये सभी
व्यवस्थाएं जरूरी हैं। एनईआर के जनसंपर्क अधिकारी महेश गुप्ता ने बताया कि
स्टेशनों पर कोविड टेस्टिंग शिविर लगाकर हर यात्री की ’’रैपिड एंटीजन टेस्ट’ एवं आरटी पीसीआर टेस्ट की जा रही है।
15 दिन में ढाई से 3 लाख प्रवासी मजदूर पहुंचे
एक रेलवे
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 1 से 15 अप्रैल के बीच 9 समर स्पेशल ट्रेन मुंबई से लखनऊ पहुंची हैं। इनसे ढाई से 3
लाख के बीच प्रवासी मजदूर आए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक,
पिछले लॉकडाउन में मुंबई से 5 लाख से ज्यादा प्रवासी लौटे थे।
मुंबई से पटना
आने वाली ट्रेन 01173 डाउन जब पटना के दानापुर स्टेशन पर रुकी तो उससे उतरे
ज्यादातर यात्रियों की उम्र 25 से 40 साल के बीच की रही। लापरवाही का आलम ऐसा कि लोग ट्रेन के
स्टेशन पहुंचने से पहले ही कूदने लगे। कुछ की तो जान जाते-जाते बची। कारण ये कि
कहीं कोरोना जांच न करानी पड़े। डर ये भी कि जांच में पॉजिटिव निकले तो क्वारैंटाइन
होना पड़ेगा।
अभी गेहूं
काटेंगे, बाद में लौट जाएंगे
स्टेशन पर
उतरे कुछ यात्रियों ने भास्कर को बताया कि महाराष्ट्र में लॉकडाउन लग गया है,
इसलिए पटना लौट आए हैं। एक ने कहा,
अब यहां तो कोई नौकरी मिलने से रही इसलिए खेती बाड़ी करेंगे,
भूसा ढोएंगे, और गेहूं काटेंगे। कटाई का सीजन खत्म होने तक लॉकडाउन खत्म
हुआ तो फिर मुंबई लौट जाएंगे।
बिहार में काम
मिलता तो बाहर क्यों जाते?
स्टेशन से
बाहर निकल रहे इमरान आलम ने बताया कि फैक्ट्री में काम करते हैं। 9-10 साल से मुंबई में थे। बिहार में काम नहीं मिलता। ऐसे में
रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई जैसे बड़े शहर जाना पड़ता है,
लेकिन अब वापस नहीं जाएंगे। कम पैसे मिले तो भी बिहार में
ही काम करेंगे। कम से कम मां-बाप के साथ तो रहेंगे।
बिहार आ रहे
हजारों यात्री
महाराष्ट्र,
दिल्ली, गुजरात से 64 स्पेशल ट्रेनें बिहार के अलग-अलग शहरों के लिए चल रही हैं।
इनके अलावा 31 ट्रेनें ऐसी हैं जो बिहार के अलग-अलग शहरों के स्टेशनों से होकर गुजरती हैं।
पटना से खुलने वाली एक राजधानी स्पेशल भी चल रही है। ऐसे में हजारों प्रवासी बड़े
शहरों से वापसी कर रहे हैं।
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