देश में सबसे
तेजी से निर्माण कार्य में शुमार हो चुकी कानपुर मेट्रो के इंतजार की घड़ियां अब
खत्म हो गईं। दिसंबर अंत तक यात्रियों को सवारी कराने की शुरुआत से पहले बुधवार से
कानपुर मेट्रो ट्रायल रन के लिए दौड़ेगी। सुबह 9.35 बजे शहर पहुंचे इसके बाद इस पल
का साक्षी बनने के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 9.50 से 10.20 बजे तक
पालीटेक्निक स्थित मेट्रो के डिपो में मौजूद रहें। उन्होंने बटन दबाकर पहले
कारिडोर में मेट्रो को ट्रायल रन के लिए रवाना किया।
ट्रायल रन पर
निकलने के साथ ही कानपुर मेट्रो नए प्रयोगों-खूबियों के साथ नए कीर्तिमान रचेगी और
देश में सबसे तेजी से बनने वाली लखनऊ मेट्रो के नाम दर्ज रिकार्ड को भी तोड़ेगी।
लखनऊ के मुकाबले कानपुर मेट्रो का काम सबसे तेज दो साल से भी कम में हुआ है।
ट्रायल रन शुरू होने के साथ रिसर्च एंड डिजाइन स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ)
मेट्रो ट्रेन की औपचारिक रूप से टेस्टिंग शुरू कर देगा। मेट्रो परियोजना की लागत
11 हजार, 076 करोड़ रुपये है। आइआइटी से मोतीझील तक
पहले चरण में मेट्रो चलनी है। इसके आगे भूमिगत ट्रैक बिछाने के लिए खोदाई हो रही
है।
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ शहर में 2.55 घंटे रहेंगे। वह 12.30 बजे चकेरी एयरपोर्ट से मथुरा के लिए रवाना होंगे। वैसे तो मुख्यमंत्री को सुबह हेलीकाप्टर से चंद्रशेखर आजाद कृषि विवि स्थित हेलीपैड पर उतरना है, लेकिन मौसम खराब हुआ तो वह सीधे चकेरी एयरपोर्ट पर उतरेंगे और वहां से जीटी रोड होते हुए मेट्रो यार्ड पहुंचेंगे। मंगलवार शाम उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव पालीटेक्निक डिपो पहुंचे और तैयारियों का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री गुजरात से पहले आई ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। डिपो में सभा को संबोधित करेंगे, इसमें करीब पांच सौ लोगों को आमंत्रित किया गया है। मंडलायुक्त डा. राजशेखर, पुलिस आयुक्त असीम अरुण, डीएम विशाख जी अय्यर ने भी श्याम नगर, मेट्रो यार्ड की तैयारियों का जायजा लिया है।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) कुमार केशव का कहना है कि कानपुर की मेट्रो का काम लखनऊ से भी तेज हुआ है, वो भी तब जब इसके बीच में कोरोना का संक्रमण हावी रहा। 15 नवंबर 2019 को इसके निर्माण कार्य शुरू हुए और अब दो वर्ष में ट्रायल रन शुरू होने जा रहा है। कानपुर की मेट्रो में बहुत से प्रयोग देश में पहली बार किए गए। इसमें सबसे पहले डबल टी गार्डर का प्रयोग किया गया, जिससे स्टेशनों का पहला फ्लोर बहुत ही तेजी से बनाया गया और जीटी रोड जैसी व्यस्त सड़क पर ट्रैफिक भी नहीं रुका। डिपो में ही गार्डर को ढालकर रात में ही पिलर पर लगाया गया।
कानपुर मेट्रो की विशेषताएं-
1.कानपुर की
मेट्रो में शहर के ही प्राचीन चित्रों और ऐतिहासिक स्थलों की तस्वीरों को लगाया
गया है। इसमें जे के मंदिर बिठूर और गंगा के प्रमुख घाटों की तस्वीरों को लगया गया
है।
2. जहां एक ओर
कानपुर मेट्रो की ट्रेनों में एक बार में 974 यात्री सफर कर सकेंगे, तो वहीं ट्रेनों की रफ्तार 80-90 किमी प्रति घंटा तक
होगी।
3.कानपुर मेट्रो
की ट्रेनें अत्याधुनिक फायर और क्रैश सेफ्टी के मानकों को ध्यान में रखकर डिजाइन
की गई हैं।
4.किसी भी घटना
से बचने के लिए प्रत्येक मेट्रो ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे। इनकी फुटेज
ट्रेन आपरेटर और डिपो में बने सेंट्रल सिक्योरिटी रूम में पहुंचेगी।
5. मेट्रो
ट्रेनों में टाक बैक बटन की सुविधा भी दी गई है, ताकि
आपातकालीन स्थिति में ट्रेन आपरेटर से यात्रीण बात कर सकें। इसके अलावा आटोमेटिक
ट्रेन आपरेशन के तहत ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलाई
जाएंगी।
6.वायु प्रदूषण
को कम करने के लिए ट्रेनों में मार्डन प्रापल्सन सिस्टम होगा। सभी ट्रेनों को
रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस किया गया है, ताकि
ब्रेक लगाए जाने से उत्सर्जित 45 फीसद ऊर्जा को रीजनरेट कर उसी सिस्टम में पुन:
इस्तेमाल किया जा सके।
गौरतलब है कि
कानपुर मेट्रो में कई सारी ऐसी खूबिया भी है जो देश में पहली बार इस्तेमाल की गई
हैं और कानपुर मेट्रो में दी गई हैं। देश में पहली बार डबल टी-गार्डर का इस्तेमाल
कानपुर में हुआ। इससे सभी नौ स्टेशन के कानकोर्स बनाए गए। इससे सात माह 17 दिन में
सभी स्टेशन के कानकोर्स बनकर तैयार हो गए। इसके अलावा देश में पहली बार ट्विन पियर
कैप का इस्तेमाल किया गया,
इसके ऊपर आटोमेटिक वा¨शग प्लांट बनाया गया।
थर्ड रेल डीसी
ट्रैक्शन सिस्टम के साथ एक खास इनवर्टर लगाया गया है जो ब्रेक से बननी वाली ऊर्जा
को वापस सिस्टम में भेजकर इस्तेमाल करने लायक बनाएगा। ये सिस्टम भी कानपुर मेट्रो
ट्रेन में सबसे पहले लगाया गया है।
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