लीजिये आज हम फिर से हाज़िर हैं एक नए और रोचक कहानी के साथ. जिसको लिखा है सपना
आर्य ने. तो चलिए बिना देर किये पढ़ते हैं कहानी-ये दिवाली मिठास वाली.
तो चलिए शुरू करते हैं आज की कहानी...
निधि ने आश्चर्य से पूछा ‘दादी ये कौन हैं? आज तक ना इनको कभी देखा ना आपने कभी ज़िक्र किया।’ दादी ने बात टालने की कोशिश की। निधि ज़िद करने लगी तो दादी
ने बताया, ‘ये मेरी सबसे ख़ास सहेली है। हम
दोनों पड़ोस में ही रहते थे इसलिए साथ ही बड़े हुए और मेरे पीहर में जब भी कोई
प्रोग्राम होता था तब हम दोनों मिलते रहते थे और ये फोटो हम दोनों की शादियां हो
जाने के बाद मेरे भाई के लड़के की शादी और दूसरे प्रोग्राम की हैं, जो हमने चाव से खिंचवाई थीं।’ निधि ने अचरज से पूछा, ‘तो अब इनसे मुलाकात नहीं होती?’ दादी चुप हो गईं। निधि ने ज़ोर देकर पूछा तो बोलीं, ‘इससे कुछ साल पहले एक बात पर मनमुटाव हो गया था।
निधि ने वीडियो कॉल लगाया। वीडियो कॉल पर दादी को देखते ही उनकी सहेली बोल उठी, ‘अरे सावित्री! तू तो अब भी वैसी की वैसी ही है, लगता है बहू अच्छी सेवा कर रही है।’ सुनते ही दादी ने कहा, ‘हां लक्ष्मी! पर तू थोड़ी मोटी हो गई है। तेरी ख़ातिरदारी
ज़्यादा हो रही दिखती है।’
कहकर दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं।
बात ख़त्म होते-होते दोनों की आंखों में आंसू थे। दोनों ने नियमित रूप से कॉल करने
का वादा किया। फोन रखते ही दादी ने निधि को गले से लगा लिया और बोलीं ‘बेटा तूने इस दिवाली पर हमारे रिश्ते को फिर से रोशन कर
दिया।’
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