ये दिवाली मिठास वाली...

लीजिये आज हम फिर से हाज़िर हैं एक नए और रोचक कहानी के साथ. जिसको लिखा है सपना आर्य ने. तो चलिए बिना देर किये पढ़ते हैं कहानी-ये दिवाली मिठास वाली. तो चलिए शुरू करते हैं आज की कहानी...

दिवाली आने वाली थी तो घर की साफ़-सफ़ाई चल रही थी। यूं तो हर साल दादी अपने कमरे की सफ़ाई ख़ुद ही कर लिया करती थीं और उसमें रखे कुछ बक्सों और अलमारी की भी। पर अबकी बार दादी की तबियत ठीक नहीं थी इसलिए उन्होंने पोती निधि की मदद लेने की सोची। निधि को आज दादी से उसके समय के पहनावे और शृंगार का सामान देखने और उनके बारे में बात करने का मौका मिल गया। वो हर चीज़ दादी को दिखाकर जिज्ञासावश पूछने लगती और दादी चाव से अपनी यादों को ताज़ा करने लगतीं। अलमारी की सफ़ाई के बाद अब बक्से की बारी थी। बक्से में कुछ पुरानी फ़ोटोज़ थीं
, उन पर निधि की नज़र पड़ गईी। ज़्यादातर फ़ोटो में दादी किसी अनजान औरत के साथ दिखीं। दोनों साथ-साथ काफी चहकती-सी, ख़ुश लग रही थीं।

निधि ने आश्चर्य से पूछा दादी ये कौन हैं? आज तक ना इनको कभी देखा ना आपने कभी ज़िक्र किया।दादी ने बात टालने की कोशिश की। निधि ज़िद करने लगी तो दादी ने बताया, ‘ये मेरी सबसे ख़ास सहेली है। हम दोनों पड़ोस में ही रहते थे इसलिए साथ ही बड़े हुए और मेरे पीहर में जब भी कोई प्रोग्राम होता था तब हम दोनों मिलते रहते थे और ये फोटो हम दोनों की शादियां हो जाने के बाद मेरे भाई के लड़के की शादी और दूसरे प्रोग्राम की हैं, जो हमने चाव से खिंचवाई थीं।निधि ने अचरज से पूछा, ‘तो अब इनसे मुलाकात नहीं होती?’ दादी चुप हो गईं। निधि ने ज़ोर देकर पूछा तो बोलीं, ‘इससे कुछ साल पहले एक बात पर मनमुटाव हो गया था।

अब जब भी मैं पीहर जाती हूं तो इसके बारे में पूछ लेती हूं पर अब इससे मिलने नहीं जाती।’ ‘अरे दादी! इतनी ख़ास सहेली से इतना लम्बा मनमुटाव भी कोई करता है? मैं और मीनल तो आए दिन लड़ते हैं और फिर से एक-दूसरे को मना लेते हैं। आप हम बच्चों से ही कुछ सीखो और अपनी सहेली को मनाओ।’ ‘अरे निधि बेटा जाने दे अब।’ ‘नहीं दादी, अभी नाना मामा के घर में फोन करके वहां पड़ोस में रहने वाले इनके पीहर वालों से इनके फोन नम्बर मंगवाओ। और हां, किसी के सोशल मीडिया का नम्बर हो वो मंगवाओ, अब तो वीडियो कॉल हुआ करेंगे।दादी ने पोती की ज़िद मानी और नम्बर मंगवाए।

निधि ने वीडियो कॉल लगाया। वीडियो कॉल पर दादी को देखते ही उनकी सहेली बोल उठी, ‘अरे सावित्री! तू तो अब भी वैसी की वैसी ही है, लगता है बहू अच्छी सेवा कर रही है।सुनते ही दादी ने कहा, ‘हां लक्ष्मी! पर तू थोड़ी मोटी हो गई है। तेरी ख़ातिरदारी ज़्यादा हो रही दिखती है।कहकर दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं। बात ख़त्म होते-होते दोनों की आंखों में आंसू थे। दोनों ने नियमित रूप से कॉल करने का वादा किया। फोन रखते ही दादी ने निधि को गले से लगा लिया और बोलीं बेटा तूने इस दिवाली पर हमारे रिश्ते को फिर से रोशन कर दिया।


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