जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुष अपने प्यार को जाहिर करने में काफी जल्दबाज होते हैं, वे लगभग 88 दिन में प्यार जता देते हैं। दूसरी ओर महिलाएं इसके लिए 132 दिन लेती हैं. यानी देखा जाए तो महिलाएं खूब सोच-समझकर प्यार के पचड़े में पैर फंसाती हैं। लेकिन इसके बाद भी दिल टूटने की बीमारी उन्हें ही ज्यादा होती है. जी हां, महिलाओं में ‘ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम’ का रेट पुरुषों से काफी ज्यादा है। अगर 60% महिलाएं दिल टूटने के मर्ज से जूझ रही हैं तो पुरुषों में ये 40% है.
तनाव से जुड़ा है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम
यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपी रिपोर्ट के
मुताबिक,
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें
दिल के कुछ मसल्स अस्थायी तौर पर कमजोर हो जाते हैं। मसल्स लूज हो जाते हैं,
जिससे इसकी पंपिंग क्षमता कम हो जाती है। अक्सर ये किसी गम या किसी
अपने के बिछड़ जाने पर होता है। इसमें हार्ट का एक भाग अस्थायी रूप से कमजोर हो
जाता है। तभी तो ये कहा जाता है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए मुस्कुराना जरूरी है,
आप मुस्कुराएं तो आपका दिल स्वस्थ रहेगा. इससे तनाव घटता है और
इम्यून सिस्टम बेहतर होता है।
पोस्ट मेनोपॉज ज्यादा केस
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम मेनोपॉज के बाद
ज्यादा दिखता है। बता दें कि इस बीमारी के लगभग 60 % केस महिलाओं में होते हैं। इसमें भी ज्यादातर मामले 50 वर्ष की उम्र के बाद यानी पोस्ट मेनोपॉज दिखते हैं।
क्या हैं ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण
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सीने में दर्द
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सांस फूलना
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घबराहट
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पसीना आना
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अलर्ट रहने की जरूरत
यूरोपियन हार्ट जर्नल का ये भी कहना है कि महिलाओं में हार्ट डिजीज का पता देर से लगता है और हर साल दिल की बीमारियों से पीड़ित तीन में से एक महिला मरीज की मौत हो जाती है। इसका साफ कारण यह है कि महिलाएं अपनी हेल्थ को लेकर लापरवाह होती हैं। कई बार लोगों को लगता है कि महिलाओं को हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है लेकिन नई स्टडीज और रिसर्च इस बात को गलत बता रही है। वे आगाह कर रही हैं कि दिल की बीमारियां महिलाओं को भी होती हैं इसलिए उन्हें सेहत को लेकर उतना ही सचेत रहने की जरूरत है।
महिलाएं होती हैं कम दिलफेंक
दिल पर बात हो रही है तो थोड़ी नजर दिल के
मामले पर भी डालते हैं। वैसे तो पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा दिलफेंक
समझा जाता है, पर प्रपोज करने के मामले में चौंकाने
वाली रिपोर्ट सामने आई है। शादी डॉट कॉम के सर्वे में कहा गया कि अब भारतीय पुरुष
चाहते हैं कि महिलाएं ही उन्हें पहले प्रपोज करें। मतलब अगर आपका दिल किसी लड़के
पर आ गया है तो प्रपोज करने की पहल आप करें क्योंकि जमाना बदल गया है, वो भी आपके प्रपोज करने के इंतजार में बैठा होगा।
क्या महिलाओं का दिल ज्यादा बार टूटता है ?
एक रिसर्च में कहा गया कि पुरुषों के
मुकाबले महिलाओं का दिल ज्यादा बार टूटता है. रिलेशनशिप के खत्म होने का दुख
महिलाओं के दिमाग में लंबे समय तक रहता है। ज्यादातर पुरुष चार-पांच महीने के बाद
नॉर्मल हो जाते हैं, लेकिन महिलाओं को नॉर्मल
होने, उस दर्द से बाहर आने में कई बार दो साल या उससे भी
ज्यादा समय लग जाता है।
महिलाएं अपने एक्स को भूल नहीं पाती
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की रिसर्च के अनुसार,
पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक तेजी से ब्रेकअप करते और अपने
करियर में आगे बढ़ते हैं, लेकिन महिलाओं को अपने एक्स को
भूलने में ज्यादा समय लगता है।
क्या कहते है साइकोलोजिस्ट
क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट बिंदा सिंह कहती हैं
कि सोच-समझकर रिश्ते में जाने के बाद भी धोखा मिले तो अक्सर महिलाएं टूट जाती हैं।
वे ठगा हुआ महसूस करने लगती हैं। इससे उनके दिलो-दिमाग पर गहरा धक्का लगता है और
वे यही सोचती रहती हैं कि ऐसा क्या हुआ जो रिश्ता एक झटके में टूट गया।
हॉर्मोन्स के कारण प्यार
वैसे प्यार में पड़ने में भले 80 दिन लगें या फिर 180, सच तो ये है कि प्यार ब्रेन
में एक तरह के केमिकल रिएक्शन के चलते होता है।
डोपामिन, नोरएपिनेफ्रीन
और फिनाइल-इथाइल-एमाइन ये तीनों केमिकल्स हैं. प्यार की शुरुआत में या अपने प्रेमी
को देखते वक्त ये केमिकल्स ब्लड में शामिल हो जाते हैं और इसका असर पूरे शरीर पर
होता है. डोपामिन का दिमाग पर वही असर होता है जो कोकीन या निकोटीन का होता है. यह
केमिकल दिमाग में प्यार भर देता है।
इश्क करने वालों को नहीं लगती भूख
प्यार में पड़ने से हमारे शरीर में एक अलग
सी प्रक्रिया शुरू हो जाती है। एपिनेफ्रीन और नॉरपेनेफ्रिन रिलीज होते हैं. यह दिल
को तेजी से धड़कने के लिए ट्रिगर करते हैं और इसलिए जब आप किसी के प्रति आकर्षित
होते हैं तो आपको भूख नहीं लगती।
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