देश में अभी तक कोरोना की दूसरी लहर पूरी तरह से गई नहीं और तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। इस बीच डेंगू एक नए प्रकोप जैसा पूरे देश में फैलता नजर आ रहा है। पूरे देश में डेंगू के गंभीर संक्रमण के कारण मरने वालों का आंकड़ा 150 से ज्यादा है और हजारों लोग हॉस्पिटल में एडमिट हैं।
डेंगू से बच्चे,
बड़े और बूढ़े सभी बीमार हो रहे हैं, लेकिन
बच्चों को इसकी चपेट में आने का खतरा ज्यादा है। एक बार कोरोना से बचाव घर पर रह
कर किया जा सकता है, लेकिन डेंगू ऐसी बीमारी है जो घर में
रहते हुए लोगों को अपना शिकार बना रही है। शुरुआत में नॉर्मल लगने वाला डेंगू फीवर
किसी भी लापरवाही के कारण जानलेवा साबित हो सकता है।
बारिश के इस मौसम में खास तैयारियां और
सावधानियां रखनी चाहिए, ताकि डेंगू से होने वाली
गंभीर बीमारी से हम खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें। आइए जानते हैं
डेंगू और इसके बचाव से जुड़ी कुछ जरूरी बातें...
डेंगू क्या है?
डेंगू एक तरह का वायरस है जो एडीज मच्छर के
काटने से लोगों में फैलता है। अमेरिका की नेशनल हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज
कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक
दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में डेंगू एक कॉमन बीमारी
है। दुनिया की तकरीबन 40% आबादी ऐसी जगहों पर रहती है जहां
डेंगू होने का खतरा रहता है।
डेंगू की गंभीर स्थिति जानलेवा होती है।
डेंगू मच्छर दिन में ही काटता है। इन मच्छरों का प्रकोप बारिश में बढ़ता है। इकट्ठा
या ठहरे हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं और इन्हीं दिनों डेंगू का कहर भी बढ़ता
है। गड्ढे, नाली, कूलर,
पुराने टायर, टूटी बोतलें, डिब्बों जैसी जगहों में रुके हुए पानी में मच्छर पैदा होते हैं। इस मौसम
में घर के अंदर और आसपास की ऐसी जगहों पर पानी जमा न होने दें।
डेंगू के गंभीर लक्षण कई बार घातक साबित होते हैं
डेंगू का लक्षण,
मच्छर काटने के करीब 3 से 5 दिनों के बाद दिखाई देता है। तेज बुखार, शरीर और सिर
में दर्द इसके आम लक्षण हैं। डेंगू के लक्षण हल्के और गंभीर दो तरह के होते हैं।
बड़ों के मुकाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक
होती है। डेंगू का गंभीर लक्षण मृत्यु का कारण भी बन सकता है। देश में लगातार
डेंगू फैलने से बच्चों सहित बड़ों की मौत के कई केस सामने आ रहे हैं।
बच्चों में डेंगू के लक्षण वायरल फीवर के
लक्षण जैसे ही होते हैं
एक रिपोर्ट के अनुसार 15 साल से कम उम्र के बच्चों को डेंगू होने की आशंका ज्यादा होती है। बच्चों
में डेंगू के लक्षण वायरल फीवर के लक्षण जैसे ही होते हैं। अगर इनमें से कोई भी
लक्षण बच्चों में दिखे तो जल्द ही डॉक्टर की सलाह लें।
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तेज बुखार,
खांसी
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सामान्य से अधिक रोना
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सांस लेने में तकलीफ होना
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मुंह,
होंठ और जीभ का सूखना
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वॉमिटिंग के कारण शरीर में
पानी की कमी होना
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सुस्ती,
कमजोरी और चिड़चिड़ापन
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हाथ-पैर का ठंडा होना,
कई बार शरीर का रंग भी बदल जाता है
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डेंगू में प्लेटलेट्स का
कम होना ज्यादा खतरनाक
आमतौर पर एक हेल्दी बॉडी के ब्लड में डेढ़ से चार लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी में ब्लीडिंग को रोकने का काम करते हैं। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स को कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स काउंट 40 हजार से 20 हजार तक पहुंच जाता है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती, लेकिन अगर किसी मरीज में प्लेटलेट्स 20 हजार या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
डेंगू से बचने के लिए ये उपाय करने चाहिए
इंदौर के महाराजा यशवंतराव हॉस्पिटल के
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल शिंदे ने डेंगू से बचाव के कई उपाय बताए। इनके
अनुसार...
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घर और आसपास की जगहों को
साफ और व्यवस्थित रखें : मच्छर ज्यादातर गंदे या ठहरे हुए पानी में ही पनपते हैं।
घर के अंदर और बाहर उन सभी जगहों को साफ करें जहां पानी जमा होने की आशंका हो
जैसे- पुराने टायर, टूटी बोतल, डिब्बे, वाटर कूलर, नालियां।
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खिड़कियों और दरवाजों पर
नेट लगाएं: घर के अंदर मच्छर खिड़की और दरवाजों से आते हैं। खिड़की और दरवाजे या
दूसरे एंट्रेंस पर नेट लगाने से डेंगू के कहर से बचा जा सकता है।
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मॉस्कीटो रिपेलेंट लिक्विड,
स्प्रे या क्रीम लगाएं: मार्किट में कई तरह के मॉस्कीटो रिपेलेंट
मिलते हैं जैसे ऑल आउट, गुड नाईट। इन्हें रूम में लगाने पर
मच्छरों से बचा जा सकता है। इसके अलावा बॉडी पर ओडोमॉस जैसी रिपेलेंट क्रीम भी
लगाई जा सकती है।
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मच्छरदानी का इस्तेमाल
करें: सोते समय मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। मच्छरदानी केवल
डेंगू को ही नहीं बल्कि अन्य कीटों को भी रोकने का काम करती है।
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फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें:
यदि आप बाहर हैं, मच्छर वाले स्थान पर हैं तो
शरीर को ढंकने का प्रयास करें। फुल पैंट और फुल स्लीव्स वाले कपड़े पहनें। जिससे
मच्छर आपको काट न पाएं।
अगर डेंगू हो जाए तो क्या करें?
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यदि आपको फीवर हो या डेंगू
के कोई भी लक्षण दिखे तो जल्द ही डॉक्टर को दिखाएं।
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जितना हो सके आराम करें।
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ऐसे ड्रिंक्स लें जिनमें
इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा ज्यादा हो।
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डॉक्टर की सलाह के बिना
दवाइयां न लें, खासकर एस्पिरिन या इबुप्रोफेन।
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हल्के लक्षण होने पर
डॉक्टर की सलाह से घर पर ही बीमार सदस्यों की देखभाल की जा सकती है।
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