कितना अजीब है ना! एक तरफ लोग कहते हैं “पैसा सबकुछ नहीं होता” तो दूसरी तरफ ये भी सुनने को मिल ही जाता है कि “पैसो के बिना कुछ नहीं हो सकता”। नमस्कार मैं हूं काव्या श्रीवास्तव और आज आपको सुनाने वाली हूँ एक ऐसी ही कहानी- “कहानी सपनो की”।
दोस्तो बचपन में हर मां अपने बच्चे को मोटिवेट करने के लिए
अक्सर कह ही देती है कि बड़ा सोचोगे तभी
तो बड़ा बनोगे। सपने देखने वालों के ही तो,
सपने पूरे होते हैं। यह कहना जितना
आसान लगता है, शायद
उतना है नहीं। वो इंग्लिश में कहते हैं ना It
is easier said than done पर
इसी बात को गलत ठहरा जाते हैं “रमा और नीरज”।
सीतापुर जिले के सबसे चर्चित कपल हैं नीरज-रमा । इन्हें एक दूसरे की ज़िन्दगी में आए 35 साल हो चुके है पर इनका प्यार देखकर ऐसा लगता था मानो कल की ही बात हो | छोटी उम्र में भले शादी तो हो गई पर इनके सपने हमेशा बड़े थे | नीरज प्राइवेट स्कूल में जियोग्राफी के टीचर है और रमा, रमा के लिए तो उनका घर ही ग्लोब है । मोहल्ले के हर एक घर में रमा का आना जाना है और उनके पति ही है, बस उनकी चर्चा का विषय | रमा बाते करती नही थकती और नीरज पढ़ाते | नीरज का सपना है की वो “रिटायरमेंट के बाद साथ में दुनिया की सैर पर जाये हलाकि उनके आस पड़ोस, मोहल्ले वालो के लिए यह समझ पाना मुश्किल तो है ही रमा की भाषा में “समझ के बाहर” तभी तो मजाक मजाक में कई बार कह भी चुके कि “सपने देखने में पैसे थोड़ी लगते हैं” पर हाँ उन्हें पूरा करने में पैसे जरूर लगते है । वैसे तो ये बात नीरज, रमा के साथ साथ उनका सेविंग बॉक्स भी बखूबी जानता है |
ठाकुर प्रसाद केलेंडर की हर बदलती तारीख़ रमा और नीरज के सेविंग बॉक्स को भरती जा रही थी | हर त्योहार पर थोड़ी खुशी को बचाकर सेव कर लेना रमा उस बॉक्स में रखना भूलती नही थी | आप सोच रहे होंगे पूरी दुनिया घूम पाना असंभव है पर सपनों की उड़ान तो ऐसी ही होती | वक्त ने नीरज और रमा को अपने सपनों के काफी करीब पंहुचा दिया था पर ज़िन्दगी हमेशा वैसी नहीं चलती जैसा हम सोचते हैं। दिवाली की वो रात नीरज-रमा कभी नही भूल पाएँगे शॉर्ट सर्किट से उनके घर में जब आग लगी, किराये के कमरे में उनके फ्लाइट में बैठकर दुनिया की सैर करने वाले सपने भी जल रहे थे | आग की लपटों में नीरज के आंसू रमा को साफ़ दिख रहे थे | रमा ने आसू पोंछे और कहा “सब ठीक हो जाएगा” शायद वो खुद भी नहीं जानती थीं, कैसे ठीक होगा। इतना कहना उस वक़्त नीरज के लिए संजीवनी का काम कर गया। साल बीत गए और ये सपना थोड़ा सा धूमिल हो गया। नीरज का रिटायरमेंट हो चुका था। नीरज अपने स्कूल को और अपने सपनो को थोडा भूल भी गए थे पर स्कूल के लोग न जियोग्राफी भूले न नीरज सर को |
स्टूडेंट अपने फवेरेट टीचर को हमेशा याद रखते है |बच्चों को ये जब पता चला कि उनके नीरज सर के घर में आग लग गई थी और उनका सपना जो कि स्कूल के हर एक व्यक्ति को पता था बिखर गया है | फिर क्या था जैसे कोई मुहीम ही चल गयी हो स्कूल के सभी बच्चों ने (नए-पुराने) प्रिंसिपल ,स्टाफ, वर्कर्स ने अपने अपने हिस्से का प्यार ला कर लिफाफे में रख दिया और अगले ही दिन पहुच गये सब अपने जियोग्राफी टीचर के घर | मोहल्ले वालो के लिए उस वक़्त नीरज सर के घर का आँगन किसी स्कूल मोर्निंग असेंबली ग्राउंड से कम नही था और नीरज सर के लिए ठाकुर प्रसाद ने मानो 5 सितम्बर दिखा दिया हो | वो दिन रमा और नीरज की लाइफ का सबसे स्पेशल दिन बन गया | और रमा और नीरज की सपनो की यात्रा उनकी ज़िन्दगी का सबसे सुनहरा पल | किसी ने क्या ख़ूब कहा है मंजिले उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनो में जान होती है| सिर्फ पंखो से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है |
1 Comments
Very nyc story....
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