आलोक वर्मा को केंद्र सरकार ने 2018 में CBI के पूर्व
प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके फौरन बाद ही वर्मा का नाम पेगासस की
लिस्ट में शामिल किया गया। इसके साथ ही अनिल अंबानी और अनिल धीरूभाई अंबानी (ADA) समूह के
कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशन अधिकारी टोनी जेसुदासन के साथ उनकी पत्नी का नाम भी इस लिस्ट
में शामिल किया गया।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसकी पुष्टि नहीं
की जा सकती है कि अनिल अंबानी वर्तमान में उसी फोन नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं या
नहीं। ADA की
ओर से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राफेल के अधिकारियों के फोन भी शामिल
रिपोर्ट के अनुसार भारत में दसॉ एविएशन (राफेल विमान बनाने
वाली कंपनी) के प्रतिनिधि वेंकट राव पोसिना,
साब इंडिया के प्रमुख इंद्रजीत सियाल और बोइंग इंडिया के प्रमुख प्रत्यूष
कुमार के नंबर भी 2018
और 2019 में
विभिन्न अवधि में लीक आंकड़े में शामिल हैं। इसके साथ ही फ्रांस की कंपनी एनर्जी EDF के प्रमुख
हरमनजीत नेगी का फोन भी लीक आंकड़े में शामिल है। बता दें कि फ्रांस से राफेल डील
को लेकर विपक्ष के नेता केंद्र सरकार पर अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के आरोप
लगाते रहे हैं।
पेगासस प्रोजेक्ट क्या है?
पेगासस प्रोजेक्ट दुनियाभर के 17 मीडिया
संस्थानों के जर्नलिस्ट का एक ग्रुप है,
जो एनएसओ (NSO) ग्रुप
और उसके सरकारी ग्राहकों की जांच कर रहा है। इजराइल की कंपनी NSO सरकारों को
सर्विलांस टेक्नोलॉजी बेचती है। इसका प्रमुख प्रोडक्ट है- पेगासस, जो एक जासूसी
सॉफ्टवेयर या स्पायवेयर है।
पेगासस आईफोन और एंड्रॉयड डिवाइस को टारगेट करता है। पेगासस
इंस्टॉल होने पर उसका ऑपरेटर फोन से चैट,
फोटो, ईमेल
और लोकेशन डेटा ले सकता है। यूजर को पता भी नहीं चलता और पेगासस फोन का माइक्रोफोन
और कैमरा एक्टिव कर देता है।
180
रिपोर्टरों और संपादकों को सरकारों ने अपनी निगरानी सूची में रखा
इससे पहले रविवार को द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था
कि दुनियाभर में सरकारों ने पत्रकारों की जासूसी के लिए इजराइल के सॉफ्टवेयर
पेगासस की मदद ली है। रविवार को 17
मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया।
इधर, इस
बात का भी खुलासा हुआ है कि दुनियाभर में 180
रिपोर्टरों और संपादकों को सरकारों ने अपनी निगरानी सूची में रखा। इन देशों में
भारत भी शामिल है, जहां
सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले 40 पत्रकार,
3 विपक्षी नेता, 2
केंद्रीय मंत्री और एक जज भी निगरानी के दायरे में थे।
सरकार की नाकामियों को उजागर करने वालों पर टार्गेट
रिपोर्ट के मुताबिक,
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पेगासस के क्लाइंट्स ने ऐसे पत्रकारों की
जासूसी कराई, जो
सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहे हैं या जो उसके फैसलों की आलोचना करते रहे
हैं। एशिया से लेकर अमेरिका तक में कई देशों ने पेगासस के जरिए पत्रकारों की जासूसी
की या उन्हें निगरानी सूची में रखा। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ देशों के नाम भी
दिए गए हैं, जहां
पत्रकारों पर सरकार की नजरें हैं। लिस्ट में टॉप पर अजरबैजान है, जहां 48 पत्रकार
सरकारी निगरानी सूची में थे। भारत में यह आंकड़ा 40 का है।
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