संघ ने बयानबाजी न करने की हिदायत दी
संघ ने हिदायत दी है कि चंपत राय इस विवाद
पर किसी भी हाल में बयानबाजी न करें। इसी शर्त पर उन्हें पद पर बनाए रखने का फैसला
लिया गया है। यह भी स्पष्ट कहा गया कि इस मामले में कहीं न कहीं तो चूक हुई है।
संघ की छवि को इससे बहुत धक्का पहुंचा है।
यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अगर श्री राम
जन्मभूमि जमीन विवाद ने ज्यादा तूल पकड़ा तो चंपत राय को पद से हटना भी पड़ सकता
है।
अभी भी चंपत राय पर लटक रही तलवार
दरअसल, संघ चंपत
राय को लेकर दुविधा में है। उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के
चुनाव करीब हैं। ऐसे में अगर चंपत राय को हटाया गया तो लगेगा कि आरोप की पुष्टि
खुद संघ ने कर दी। अगर विपक्ष ने राम जन्मभूमि जमीन विवाद मामले में हुई गड़बड़ी
के बाद भी कोई एक्शन न लिए जाने को मुद्दा बनाया तो हिंदू जनमानस को ठेस पहुंच
सकती है। लिहाजा मुद्दे को ठंडा करने की रणनीति भी संघ बना रहा है। फिर भी यह
मुद्दा अगर सुलगता रहा तो चंपत राय को पद से हटने का आदेश दिया जाएगा।
संघ के सामने चंपत राय ने कहा कि उन्होंने
जो भी किया, वह 'नैतिकता'
और 'कानून' के दायरे में
रहते हुए किया। मंदिर के लिए जिस जमीन को खरीदा गया, वह
वास्तुशास्त्र के लिहाज से बेहद जरूरी थी। निर्माणाधीन मंदिर की कल्पित संरचना,
बिना उस जमीन के पूरी नहीं होती।
उन्होंने कहा, "आप लोग जो निर्णय लेंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा। आप
चाहें तो मुझे पद से हटा सकते हैं। मैंने हिंदू धर्म के लिए अपना पूरा जीवन सौंपा
है। संघ का जो आदेश होगा, उसका मैं पालन करूंगा।'
सफाई पर अभी संघ हाईकमान संतुष्ट नहीं
चंपत राय की सफाई के दौरान सर संघचालक मोहन
भागवत,
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और पांचों सह सरकार्यवाह और अन्य
पदाधिकारी मौजूद थे। संघ आलाकमान ने कहा- इस आरोप से बहुत नुकसान हुआ है। संघ की
छवि धूमिल हुई है। उन्होंने स्पष्ट न सही, लेकिन इस बात का
भी इशारा किया कि वे चंपत राय की बात से संतुष्ट नहीं हैं।
हालांकि, चंपत राय
को पद से न हटाए जाने का भरोसा दिया। बैठक में इस बात का भी निर्णय लिया गया कि
अभी मंदिर के लिए ट्रस्ट की तरफ से खरीदी जा रही जमीन पर पूरी तरह रोक रहेगी। चंपत
राय को यह भी बता दिया गया है कि राम जन्मभूमि से जुड़े मामले में वे कोई निर्णय
नहीं करेंगे। मीडिया ही नहीं, किसी से भी इस विवाद पर बात
नहीं करेंगे।
चंपत राय को उत्तर प्रदेश चुनाव के कारण मिला अभयदान?
सूत्रों की मानें तो चंपत राय को फिलहाल
अभयदान देने की सबसे बड़ी वजह आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव हैं। संघ नहीं चाहता कि
चुनाव में इस मामले को तूल मिले। कोशिश है कि चुनाव तक चंपत राय इस पद से न हटाए
जाएं। अगर मामला आगे नहीं संभला तो फिर चंपत राय को कठघरे में खड़ाकर उन्हें पद से
हटने का आदेश दिया जाएगा।
सफाई से पहले भगवान राम की शरण में पहुंचे
चंपत राय
चंपत राय ने संघ की बैठक में पेश होने से
पहले 9 जुलाई की सुबह चित्रकूट के देवता कामता नाथ (राम का ही एक रूप) के दर्शन
किए। उसके बाद कामदगिरि प्रमुख द्वार कामतानाथ मंदिर के स्वामी मदन गोपाल दास जी
महाराज से भेंट की। मदन गोपाल दास जी ने बताया, "चंपत
राय ने जमीन विवाद को लेकर उनके सामने सारी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने जमीन खरीद
से लेकर जमीन के दाम बढ़ने तक की सारी बातें बताईं, उन्होंने
यह भी कहा कि वे जांच के लिए भी तैयार हैं। उनकी बातें सुनने के बाद मुझे नहीं लगता
की उनकी तरफ से कोई घोटाला हुआ है। उनका जीवन बेदाग है।"
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
सरकार द्वारा बनाया गया है। इसलिए इसमें पदासीन लोगों को निकालने का फैसला योगी
सरकार ही करेगी, लेकिन यह जगजाहिर है कि इस फैसले पर
मुहर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही लगेगी।
0 Comments