कोरोना की मार :नौकरी छूटी, सरोग्रेसी से पाल रहीं परिवार....

कोरोना की मार :नौकरी छूटी, सरोग्रेसी से पाल रहीं परिवार....

कोरोना महामारी लोगों को ऐसे दिन दिखा रही है जो न चाहते हुए भी फेस करना पड़ रहा है. जहाँ लोगों की नौकरियां छूट रही हैं वहीँ कुछ महिलाएं अपने परिवार को चलाने के लिए सरोगेट का सहारा ले रही हैं.  पूर्वी अहमदाबाद में एक 23 साल की युवती घरों पर काम के लिए जाती थी, लेकिन काम बंद होने से उसके सामने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई। किसी ने उसे सरोगेट मां बनने की सलाह दी। उसे ये रास्ता ठीक लगा। अब वह एक दंपती के बच्चे की सरोगेट मां बनने जा रही है। कोरोना के चलते कारोबार बंद होने से नौकरियां जा रही हैं। इसके चलते महिलाएं मजबूरी में कोख किराए पर दे रही हैं। गुजरात में ऐसे 20-25 मामले सामने आए हैं।

परिवार का खर्च चलाने के लिए महिलाओं ने यह रास्ता चुना। हैरानी की बात यह है कि इनमें कुछ अविवाहित युवतियां भी हैं। इसके बदले इन्हें 3 से 4 लाख रुपए और मेडिकल खर्च मिलता है। पढ़िए इनकी आपबीती...

पापा ने मां व मुझे छोड़ दिया; नौकरी गई, यही विकल्प था
मेरा नाम रीमा है। उम्र 23 साल है। अभी शादी नहीं हुई। पापा ने मुझे और मां को छोड़ दूसरा घर बसा लिया। हम किराए के घर में रहते हैं। लोगों के घर काम कर मां ने मुझे बड़ा किया। मैं भी नौकरी कर हाथ बंटा रही थी। कोरोना संकट में नौकरी छूट गई। मां का काम भी बंद हो गया। आमदनी रुक गई। मकान का किराया चढ़ता जा रहा था। मकान मालिक भी किराए के लिए दबाव बना रहा था, इसलिए सरोगेट मां बनने का फैसला किया। डॉक्टर के जरिए सरोगेसी से संतान सुख के इच्छुक दंपती से संपर्क हुआ। उन्होंने कुछ पैसे भी दिए हैं।

जॉब गई, टिफिन का काम शुरू किया, वह भी बंद हुआ

एडवोकेट अशोक परमार ने बताया कि उनकी परिचित राजश्री के पति का निधन हो गया। आमदनी पूरी तरह बंद हो गई। बच्चों के लिए उसे नौकरी करनी पड़ी। बाद में नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके बाद टिफिन का काम शुरू किया। लॉकडाउन के कारण वह भी बंद हो गया। तब एक महिला ने उसे सरोगेट मां बनने का प्रस्ताव दिया। बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए राजश्री ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। फिलहाल उसे घर चलाने लायक पैसे मिल गए हैं। बाकी पैसे उसे प्रसव के बाद दिए जाएंगे।

पति की नौकरी छूट गई, घर की हर चीज बेचनी पड़ी

विधायक जीएस सोलंकी ने बताया कि रेखा नाम की महिला के पति की नौकरी कोरोना महामारी आने के कुछ दिन बाद ही छूट गई थी। उसे घर चलाने में बहुत मुश्किलें आ रही थीं। घर खर्च के लिए घर की सारी चीजें बेचनी पड़ गईं। मांगने पर भी पैसे नहीं मिल रहे थे। लेकिन सामान बेचकर भी ज्यादा दिन तक काम नहीं चला। तब रेखा ने पति के सामने अपनी कोख किराए पर देने का विकल्प रखा। कोई रास्ता न मिलता देख पति ने भी रेखा को सरोगेट मां बनने के लिए मंजूरी दे दी।

(सभी महिलाओं की पहचान छुपाने के लिए नाम बदल दिए गये हैं)

(हर दिल में होते हैं ज़ज्बात, हर मन में हिचकोले लेते हैं ख्यालात कीजिये बयाँ अपने अहसासों को....

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