कोरोना वारीरियर्स: कोई बाँट रहा मास्क तो कोई दे रहा अर्थी को कन्धा...

कोरोना वारीरियर्स: कोई बाँट रहा मास्क तो कोई दे रहा अर्थी को कन्धा...

कोरोना का तांडव अपने चरम पर है. हर जगह इसको लेकर हाहाकार मचा हुआ है. कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है तो कहीं पर बेड नहीं है. ऐसी परिस्थिति में हम लोगों की जितनी मदद कर सकते हैं उतना ही बेहतर होगा. कहा जाता है कि धरती पर भगवान हर इंसान के अंदर है कोई उसे बाहर निकाल पाता है कोई नहीं. ऐसे ही कुछ भगवानों से चलिए आज हम मिलवाते हैं आपको, जो इन मुश्किल हालात में लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। जो अपनी जान की परवाह किए बिना पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं और लोगों की मुश्किलों को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना निगेटिविटी के इस दौर में UP के अलग-अलग शहरों से पांच ऐसे ही कोरोना वॉरियर्स की पॉजिटिविटी की कहानियां पढ़िए...

मास्क वाली बिटिया 1000 से ज्यादा मास्क बांट चुकी हैं

UP के सिद्धार्थनगर की रहने वाली 12 साल की अंजली 6वीं क्लास में पढ़ती हैं। लोग उसे मास्क वाली बिटिया के रूप में जानते हैं। वे पिछले एक साल से लोगों को मुफ्त मास्क बांट रही हैं। अंजली कहती है कि पिछले साल मैंने देखा कि कई लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। किसी के पास मास्क खरीदने के पैसे नहीं है, तो कई लोग जानबूझकर भी मास्क नहीं पहन रहे हैं। अंजली को लगा कि मुझे इन लोगों को मास्क देना चाहिए। फिर उसने खुद से मास्क बनाकर लोगों को बांटना शुरू कर दिया।

अंजली के पिता चाय की दुकान चलाते हैं, परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन, पिता ने देखा कि बेटी लोगों की मदद के लिए आ रही है तो उन्होंने अंजली को सपोर्ट किया। वे अपनी दुकान पर मास्क रखने लगे और जरूरतमंदों को मुफ्त में बांटने लगे। करीब एक हजार मास्क अंजली ने बांटे। जैसे ही यह खबर शहर में फैली, पास के दुकानदारों ने भी अंजली को मास्क बनाने का ऑर्डर देना शुरू कर दिया। इससे जो भी पैसे मिलते थे, अंजली उसे भी जरूरतमंदों की मदद में खर्च कर देती है।

इस साल जब कोरोना की दूसरी लहर फैली तो अंजली ने अपनी मुहिम को और तेज कर दिया। अब अंजली की कुछ सहेलियां भी इस काम से जुड़ गई हैं। अंजली की इस पहल के लिए जिले के DM और SSP सम्मानित कर चुके हैं। अंजली कहती है कि इस महामारी में जिससे जितना हो पाए मदद के लिए आगे आना ही चाहिए।

लोगों की जिंदगी को ऑक्सीजन दे रहे हैं हमीरपुर के मनोज

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा जिसकी मांग हो रही वह है, ऑक्सीजन। अपनों की जान बचाने के लिए घंटों धूप में लाइन लगाकर लोग खड़े हो रहे हैं। 5 से 6 हजार के सिलेंडर के लिए लोग 30 से 40 हजार रुपए तक चुका रहे हैं। इन सबके बीच UP के हमीरपुर के मनोज गुप्ता लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद बन कर सामने आए हैं। उन्होंने हमीरपुर स्थित सुमेरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में अपनी रिमझिम इस्पात फैक्ट्री में लगे ऑक्सीजन प्लांट का दरवाजा लोगों की मदद के लिए खोल दिया है। वे महज एक रुपए में लोगों को ऑक्सीजन का सिलिंडर दे रहे हैं।

मनोज कहते है कि पिछले साल वह खुद कोरोना से ग्रस्त थे। उन्होंने कोरोना का डर बड़े करीब से महसूस किया है। इसलिए वह अपनी फैक्ट्री से जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसी भी अस्पताल को यदि ऑक्सीजन की जरूरत है तो वह ले सकता है। साथ ही किसी को यदि अपने घर मे इलाज कर रहे मरीज के लिए भी ऑक्सीजन चाहिए तो ले सकता है। वह भी सिर्फ 1 रुपए देकर। उन्होंने बताया कि इसके लिए डॉक्टर का पर्चा और आधार कार्ड की आवश्यकता होगी।

मनोज बताते है कि हम 24 घण्टे में 1000 ऑक्सीजन सिलेंडर भरते हैं और यह सभी सिलेंडर जरूरतमंदों के लिए होते हैं। बुंदेलखण्ड के आसपास के सभी अस्पताल हमसे सिलेंडर ले रहे हैं। हम सभी को सिर्फ एक रुपए में ऑक्सीजन सिलेंडर देते हैं। वे कहते हैं कि जबसे मदद शुरू की है। तब से मेरा फोन लगातार बजता रहता है। कुछ कॉल रिसीव कर पाता हूं कुछ नही।

कोविड पेशेंट को अन्नरथ के जरिये पहुंचा रहे हैं मुफ्त भोजन

बहराइच जिले के रहने वाले संदीप मित्तल कोविड पेशेंट्स को मुफ्त में पौष्टिक आहार पहुंचा रहे हैं। संदीप मित्तल बताते हैं कि वह अन्नरथ से पिछले कई सालों से गरीबों को जिला अस्पताल के सामने मात्र 5 रुपये में भोजन करा रहे हैं। पिछली बार जब कोरोना आया तब भी हमने मुफ्त सेवा की थी। इस बाद जब दूसरी वेव आई तो मैंने अपनी पत्नी अंशिका मित्तल से बात की। वह लोगों के लिए खाना बनाने के लिए तैयार हो गई। वे बताते हैं कि अभी हम 40 जरूरतमंद कोरोना से संक्रमित परिवारों को खाना पहुंचा रहे हैं। इसके लिए दोपहर के खाने के लिए सुबह 11 बजे और शाम के खाने के लिए 3 बजे तक आर्डर लेते हैं। हमने शहर में अपने फोन नम्बर बांट दिए हैं। जिससे लोगों को खाना मंगाने में सुविधा हो सके।

दोस्तों के साथ मिलकर करते हैं जरूरतमंद के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था

कानपुर के रामादेवी इलाके के रहने वाले सौरभ तिवारी पेशे से मेडिकल रेप्रजेंटेटिव (MR) हैं। पिता संतोष कुमार तिवारी की आलू आढ़त है। वे पिछले कई दिनों से लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर दिलाने में मदद कर रहे हैं। वे सिर्फ फैक्टरी की कीमत पर ऑक्सीजन सिलेंडर लोगों तक पहुंचा रहे हैं। पिछले चार दिन में 280 से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलिंग कराकर उन्होंने कई लोगों को जान बचाई है।

सौरभ कहते हैं कि जब ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हुई तो मैंने अपने सभी साथियों से मदद मांगी और खुद एक-एक एजेंसी जाकर पता लगाया। तभी हरप्रताप सिंह और बब्बर गैस एजेंसी में काम करने वाले शादाब का साथ मिला। सौरभ ने कहा कि रिफिलिंग करने में शादाब ने पूरी मदद की। किसी भी जरूरतमंद के साथ सिलेंडर लेकर पहुंचता हूं तो शादाब ने तुरंत फैक्टरी की कीमत पर रिफिलिंग कर उसकी जान बचाने में मदद करते हैं।

इसके लिए उन लोगों ने हेल्प डेस्क भी शुरू किया है। जिसका नाम है कानपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा)। इसकी सदस्य डॉ. अर्चना दीक्षित जरूरतमंदों को सौरभ के पास भेजती हैं, जिसके बाद वे लोगों की मदद करते हैं।

जिनका कोई नहीं, उसके लिए सहारा बन रही हैं वर्षा

कोविड 19 की वजह से रिश्तेदार तो दूर लोग अपनों को आग या मिट्टी नहीं देना चाह रहे हैं। ऐसे में लखनऊ की वर्षा वर्मा बड़ा सहारा बन कर सामने आई हैं। वह 'एक कोशिश ऐसी भी' संस्था का संचालन करती हैं। इसके तहत वह खुद मुफ्त में लावारिस शवों के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध कराती हैं। वर्षा वर्मा आपको अमूमन अस्पतालों में फ्री एम्बुलेंस की तख्ती लिए खड़ी दिख जाएंगी। यही नहीं वर्षा खुद PPE किट पहनकर शवों के अंतिम संस्कार करवाने में मदद भी करती हैं।

(हर दिल में होते हैं ज़ज्बात, हर मन में हिचकोले लेते हैं ख्यालात कीजिये बयाँ अपने अहसासों को....

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