भारत और चीन ने
पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों
की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को बैठक की। आधिकारिक
सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में चुशुल सीमा
क्षेत्र पर सुबह करीब साढ़े दस बजे कोर कमांडर स्तर की 11वें दौर की बैठक शुरू
हुई। इसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर
लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने की। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC)
पर चल रहे तनाव को खत्म करने के लिए भारत-चीन के मिलिट्री
ऑफिसर्स की 11वें दौर की बैठक शुक्रवार को हुई। आर्मी सूत्रों के मुताबिक,
13 घंटे तक चली कमांडर लेवल की इस बातचीत में गोगरा,
हॉट स्प्रिंग और देप्सांग में डिसएंगेजमेंट को लेकर चर्चा
हुई। बैठक पूर्वी लद्दाख के चुशूल बीपीएम हट में हुई। बातचीत में भारतीय सेना का
नेतृत्व लेह में 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। इससे
पहले हुई 10 बैठकों में पूर्वी लद्दाख में उत्तरी और दक्षिणी पैगॉन्ग लेक इलाके
में डिसएंगेजमेंट को लेकर सहमति बनी थी। सेना के सूत्रों के मुताबिक,
इन इलाकों में डिसएंगेजमेंट के बाद दोनों देशों की सेना
अपनी-अपनी परमानेंट पोस्ट तक पहुंच गए हैं।
पुरानी स्थिति
कायम करने पर जोर
इस बैठक में
गोगरा,
हॉट स्प्रिंग और देप्सांग में डिसएंगेजमेंट के साथ तनाव
वाले बाकी इलाकों पर भी पुरानी स्थिति कायम करने के लिए बातचीत हुई। भारतीय सेना
ने अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति फिर से कायम करने पर जोर दिया। इस मकसद के लिए
वर्किंग मैकेनेजिम फॉर कनसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) और विशेष प्रतिनिधि स्तर पर भी दोनों देश लगातार बातचीत कर
रहे हैं।
21 फरवरी को
हुई थी 10वें दौर की बातचीत
भारत और चीन
के बीच कोर कमांडर लेवल की 10वीं बातचीत 21 फरवरी को हुई थी। ये बैठक करीब 16 घंटे
तक चली थी। इसमें भी गोगरा, हॉट स्प्रिंग और देप्सांग में डिसएंगेजमेंट को लेकर चर्चा
हुई थी। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक बैठक में कोई खास नतीजा नहीं निकल पाया
था। यही कारण है कि अब करीब एक महीने बाद फिर से दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर
शुरू हो गया है।
भारत-चीन
मिलिट्री डिसएंगेजमेंट के लिए राजी हुए हैं। मिलिट्री डिसएंगेजमेंट यानी अब तक
आमने-सामने रहीं दो देशों की सेनाओं का किसी तय इलाके से पीछे हटना। रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह ने 11 फरवरी को संसद में इसके बारे में जानकारी दी थी। उनके मुताबिक,
डिसएंगेजमेंट के लिए ये 7
फैसले हुए…
दोनों देश फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट हटाएंगे। यानी दोनों देशों की जो टुकड़ियां, अब तक एक-दूसरे के बेहद करीब तैनात थीं, वहां से पीछे हटेंगी।
Ø चीन अपनी टुकड़ियों को पैंगॉन्ग लेक के नॉर्थ बैंक में
फिंगर-8 के पूर्व की तरफ रखेगा।
Ø भारत अपनी टुकड़ियों को फिंगर-3 के पास परमानेंट थनसिंह
थापा पोस्ट पर रखेगा।
Ø पैंगॉन्ग लेक से डिसएंगेजमेंट के 48 घंटे के अंदर सीनियर
कमांडर स्तर की बातचीत होगी और बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाएगा।
(डिसएंगेजमेंट 10 फरवरी से शुरू हुआ)
Ø लेक के नॉर्थ बैंक की तरह साउथ बैंक में भी डिसएंगेजमेंट
होगा। (कब से होगा ये अभी नहीं बताया गया है।)
Ø अप्रैल 2020 से दोनों देशों ने पैंगॉन्ग लेक के नॉर्थ और
साउथ बैंक पर जो भी कंस्ट्रक्शन किए हैं, उन्हें हटाया जाएगा और पहले की स्थिति कायम की जाएगी। 7.
दोनों देश नॉर्थ बैंक पर पेट्रोलिंग को फिलहाल रोक देंगे। पेट्रोलिंग जैसी
मिलिट्री गतिविधियां तभी शुरू होंगी, जब बातचीत से कोई समझौता बन जाएगा।
कई महीनों से
आमने-सामने थे सैनिक
गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के रिश्ते खराब चल रहे हैं। दोनों की सेनाएं भारी हथियारों और हजारों सैनिकों के साथ आमने-सामने हैं। भारत ने आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों के खतरनाक कमांडो इस इलाके में तैनात कर रखे हैं। फाइटर जेट कई महीने से लगातार उड़ान भर रहे हैं। लंबी तैनाती के हिसाब से भारत ने रसद समेत दूसरा जरूरी सामान पहले ही पहुंचा दिया था।
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