परमबीर को मिली सुप्रीम कोर्ट से फटकार…

 


परमबीर को मिली सुप्रीम कोर्ट से फटकार

मनसुख हिरेन केस से जुड़े और पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. साथ ही उनसे कुछ जवाब तलब भी किया है. लेकिन सुनवाई के दौरान परमबीर सिंह को कोर्ट ने तीखे सवाल पूछे. हाईकोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आप एक पुलिस कमिश्नर थे तो आपने कानून के हिसाब से राज्य के गृहमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की?

चीफ जस्टिस ने लगाई फटकार

बता दें कि पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच हो. साथ ही उन्होंने खुद को कमिश्नर के पद से हटाए जाने को भी चैलेंज किया है. अब परमबीर सिंह की याचिका में इस दलील को लेकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि, आप एक पुलिस कमिश्नर हैं, तो क्या आपके लिए कानून अलग हो जाएगा? क्या पुलिस अधिकारी, नेता और मंत्री कानून से भी ऊपर हैं? क्या आप ये कह रहे हैं कि आप कानून से ऊपर हैं? कल अगर प्रधानमंत्री या गृहमंत्री किसी चीज में शामिल होते हैं तो कौन जांच करेगा? क्या आप बाहर से जांच करने के लिए कोई सुपर पावर चाहते हैं?” हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिस कमिश्नर से कहा कि अगर राज्य के मुख्यमंत्री या फिर गृहमंत्री किसी अपराध में शामिल होते भी हैं तो हम सीआरपीसी के प्रावधानों को किनारे नहीं कर सकते हैं. अगर आप जांच चाहते हैं तो इसका पहला स्टेप एफआईआर होती है. अगर आपको राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं है तो आप मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं.



सीएम को लिखे पत्र को ही बनाया अर्जी का आधार

मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाकर होमगार्ड्स विभाग का डीजी बनाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक खत लिखकर होम मिनिस्टर अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने निलंबित पुलिस अधिकारी को 100 करोड़ रुपये महीने की वसूली मुंबई से करने का टारगेट दिया था। यह वसूली बार और रेस्तरां से करने का आदेश दिया गया था। इस पत्र को आधार बनाते हुए ही परमबीर सिंह ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इससे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने सुनवाई से ही इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अनिल देशमुख के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन आपको पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए।

बिना FIR कैसे दिया जाए सीबीआई को जांच का आदेश?

बुधवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान परमबीर सिंह ने कोर्ट में कहा, 'शहर में पुलिस विभाग के शीर्ष पद पर रहने वाले व्यक्ति ने यह तथ्य रखे हैं। एक ऐसे शख्स ने यह आरोप लगाए हैं, जो बीते 30 सालों से पुलिस सर्विस में है।' इस पर कोर्ट ने कहा कि भले ही आप पुलिस कमिश्नर रहे हैं, लेकिन आप कानून से ऊपर नहीं हैं। आपको एफआईआर करानी चाहिए थी और उसके बिना जांच नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा, 'आप कह रहे हैं कि अनिल देशमुख के खिलाफ जांच सीबीआई को दी जानी चाहिए।  लेकिन एफआईआर कहां है, कोई भी जांच बिना एफआईआर के सीबीआई को नहीं सौंपी जा सकती।'



परमबीर सिंह की याचिका में क्या है?

परमबीर सिंह का आरोप है कि गृहमंत्री देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी को मुंबई के रेस्टॉरेंट्स और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने का टारगेट दिया था. उन्होंने आग्रह किया है कि अनिल देशमुख के घर के आसपास के सीसीटीवी फुटेज कोर्ट जल्दी जब्त करवा कर उसकी जांच करवाए वरना सबूत नष्ट करने की कोशिश की जा सकती है. अनिल देशमुख ने इस संबंध में फरवरी में अपने आवास में मीटिंग की थी, जिसमें अनिल देशमुख से मिलने सचिन वाजे आया था. इसके अलावा उनका आरोप है कि 24-25 अगस्त को राज्य की इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने DGP को देशमुख की ओर से ट्रांसफर-पोस्टिंग में किए जा रहे भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी. उन्होंने यह जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी, लेकिन इसपर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोर्ट इस मामले की भी CBI जांच करवाए. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि दादरा-नागर हवेली सांसद की मुंबई में हुई आत्महत्या के मामले में गृहमंत्री ने उन पर दबाव बनाया था कि वे BJP नेता का नाम इस मामले में लाएं. इसके अलावा उन्होंने अपने ट्रांसफर को भी चुनौती दी है और उन्हें फिर से मुंबई पुलिस कमिश्नर के तौर पर बहाली की मांग की है. इसकी सुनवाई करते हुए बुधवार को हाईकोर्ट ने निचली अदालत में जाने की सलाह दे दी है.

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