योगी की लाठी तो भंजती है,मगर क्राइम फिर भी नहीं हो रहा खत्म

 


उत्तर प्रदेश में साल 2022 में चुनाव होने हैं। अपने 5 साल का कार्यकाल पूरी कर रही योगी सरकार फिर से सत्ता में आने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। पूर्वांचल से लेकर पूरे बुंदेलखण्ड में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और राजनेता प्रचार-प्रसार के लिए उतर चुके हैं।

पार्टी के कार्यकर्ता और नेता गांव-गांव जाकर नए-नए दावों और बीजेपी द्वारा शुरू की गई योजनाओं को गिनाने का काम कर रहे हैं। बीजेपी की कोई भी रैली रही हो उसमें महिला सुरक्षा और यूपी में क्राइम खत्म होने के दावे अक्सर किए जाते रहे हैं।


जबकि विपक्षी दल भाजपा द्वारा किए गए इन दावों को झूठा साबित कर रहे हैं। वैसे देखा जाए तो ये बात सच है कि यूपी में क्राइम दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में कुछ ऐसी भी घटनाएं हुईं जिसने पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया।



चाहें वो उन्नाव की घटना रही हो या फिर सोनभद्र की,अभी हाल ही में कासगंज में एक घटना हुई है। सदर कोतवाली में 22 वर्षीय अल्ताफ को किसी केस के सिलसिले में पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया था।


कासगंज एसपी के मुताबिक  किशोरी को बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले में नामजद अल्ताफ को गिरफ्तार किया गया था। अल्ताफ ने शौचालय में अपनी जैकेट के हुड की डोरी से टंकी के पाइप पर लटक कर फांसी लगा ली। उसको सीएससी ले जाया गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह इंदौरिया, दरोगा चंद्रेश गौतम, विकास कुमार, हेड मुहर्रिर घनेंद्र और सिपाही सौरव सोलंकी को निलंबित कर दिया गया है।


इस मसले से जुड़ी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमें धाराओं सहित मृतक अल्ताफ के पिता ने लिखा है कि उनके बेटे ने डिप्रेशन में आकर फांसी लगा ली,इसमें उन्हें पुलिस वालों से कोई शिकायत नहीं है। न ही मैं और न ही मेरा परिवार कोई कार्यवाही करना चाहता हूं और न ही भविष्य में करूंगा ।


ये कोई पहला मामला नहीं है जिसमें पुलिस ने लापरवाही की हो,इससे पहले भी और ऐसे मामले हुए हैं जिनमें खास तौर पर पुलिस को दोषी पाया गया है। खैर ये तो होता रहता है। दावों के बाद भी प्रदेश में अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

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