तालिबान के राज में भुखमरी कि ओर अफगानिस्तान

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती बम धमाके के बाद अमेरिका ने आतंकी संगठन आईएसआईएस-खुरासन ग्रुप (ISIS-K) को करारा जवाब देते हुए बड़ी कार्रवाई की है। अमेरिका ने ISIS-K ग्रुप के ठिकानों पर ड्रोन से हमला कर बमबारी की है। युएस सेंट्रल कमांड ने बताया कि ये हमला अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में किया गया है, जो कि पाकिस्तानी सीमा से लगा हुआ है और ISIS का गढ़ माना जाता है और इस हमले में काबुल धमाकों का मास्टरमाइंड भी मारा गया है।


अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने के बाद आम जनता पाई पाई को मोहताज हो गई है. लोगों के पास खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं. देशभर में केंद्रीय बैंक, निजी बैंक और मनी एक्सचेंज मार्केट तक बंद पड़ी हैं. जिसके चलते शनिवार को सैकड़ों पुरुष और महिलाओं ने काबुल की सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन किया. पैसे की कमी के कारण इन लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदर्शन करते हुए लोगों ने मांग की कि उन्हें उनका पैसा वापस चाहिए. लोग काबुल बैंक और निजी बैंकों के बाहर एकत्रित हुए लेकिन इन्हें इन्हीं का जमा किया हुआ पैसा नहीं मिला. अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात की सरकार बनाने जा रहे तालिबान ने गुरुवार को सभी बैंक को शनिवार तक खोलने का आदेश दिया था और कहा कि सभी कार्यों को फिर से शुरू किया जाए। तालिबान के आदेश और सुरक्षा को लेकर दिए गए आश्वासन के बावजूद बैंक कर्मी काम पर नहीं लौटे और इसी वजह से बैंक बंद पड़े हैं। यहां दोबारा काम शुरू नहीं हो पा रहा है हाल यह है कि खाने कि मार्किट ने ले के स्टॉक मार्केट तक आफत है। गिरावट का ये सिलसिला मंगलवार के कारोबार में भी देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान के स्टॉक मार्केट पर नजर रखने वाले स्थानीय एक्सपर्ट भी बाजार की ग्रोथ को लेकर आशंकित हैं।


तालिबानी आतंकियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अपनी पकड़ को और मजबूत करना शुरू कर दिया है। तालिबानी आतंकी अब सड़कों पर घूम रहे हैं और विरोध की आवाज उठाने वाले लोगों को कुचल रहे हैं। देश के कई हिस्सों में अफगानिस्तान के झंडे को हटाने पर बुधवार को जमकर हिंसा हुई। तालिबानी आतंकियों ने अपने घातक हथियारों से निहत्थे लोगों पर फायरिंग कर दी। तालिबानी आतंकी उन अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल आम जनता पर कर रहे हैं जिन्हें उन्हें मारने के लिए अमेरिका ने अफगान सेना को दिया था। अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान के हाथ अब अरबों डॉलर के घातक हथियार लगे हैं।


ऐसा अफगानिस्तान में एक बार फिर दो दशक पहले की तालिबानी क्रूरता खुलेआम दिख रही है। वो अपने कब्जे वाले इलाकों में जल्लाद की तरह तालिबानी कानून लागू कर रहा है। इस जंग का खामियाजा अफगानिस्तान के आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। लोगों में अफगानिस्तान छोड़ने की होड़ मची है। क्या महिलाएं, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग ? हजारों की तादाद में लोग घर बार छोड़कर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में भाग रहे हैं वो भी पैदल। बस पीठ पर एक बैग लिए तालिबानियों के खौफ से बचते हुए चले जा रहे हैं ना मंजिल का पता है, ना दाना-पानी का, बिना रोटी, बिना पानी अनंत सफर पर चल पड़े हैं।

जनवरी से लेकर अब तक पूरे अफगानिस्तान में क़रीब 2 लाख 70 हज़ार लोगों को अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ा है। पासपोर्ट दफ्तरों के बाहर कई किलोमीटर लंबी बड़ी-बड़ी कतारें लगने लगी हैं। इनका मानना हैं कि 31 अगस्त के बाद अमेरिका की वापसी के साथ ही तालिबान की भी वापसी तय है और आने वाले गृह युद्ध से बचने का एक ही तरीका है कि बैटल ग्राउंड बन चुके देश को छोड़ दिया जाए।



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