प्रेग्नेंट महिलाओं में कोरोना संक्रमण डिलीवरी के दौरान जानलेवा हो सकता है। यह कहना है अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का। CDC ने एक रिसर्च का जिक्र करते हुए बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना होने पर डिलीवरी के समय मां की मौत का खतरा 10 गुना ज्यादा बढ़ जाता है और कई तरह की कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं। इसलिए सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को भी जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के इरविन मेडिकल सेंटर की रिसर्च के मुताबिक डिलीवरी के दौरान संक्रमित महिलाओं के ICU में भर्ती होने का खतरा 5 गुना ज्यादा और मौत का खतरा 10 गुना तक बढ़ जाता है।
8.69 लाख प्रेग्नेंट
महिलाओं पर हुई रिसर्च
जामा नेटवर्क में
पब्लिश इस रिसर्च में 18 साल या उससे अधिक उम्र वाली 8,69,000 महिलाएं शामिल हुई
थीं। जिन्होंने 499 हॉस्पिटल और मेडिकल सेंटर में बच्चों को जन्म दिया। स्टडी में
शामिल 18,700, यानी
2.2 प्रतिशत महिलाएं कोरोना पॉजिटिव थीं और 8,50,000,
यानी 97.8 प्रतिशत महिलाओं को कोरोना नहीं हुआ था।
रिसर्चर्स ने इन्हें दो ग्रुप में बांटा और ICU में भर्ती होने, वेंटिलेटर पर जाने और मौत के जोखिम जैसे पहलुओं पर रिसर्च
की।
रिजल्ट में सामने
आया कि कोरोना पॉजिटिव महिलाओं के ICU में भर्ती होने का खतरा 5.2% ज्यादा था।
डिलीवरी के दौरान वेंटिलेटर पर जाने का रिस्क 15 गुना ज्यादा
इसी तरह कोरोना
पॉजिटिव महिलाओं में डिलीवरी के दौरान रेस्पिरेटरी फेल्योर,
यानी वेंटिलेटर पर जाने का रिस्क भी 15 गुना और मौत का खतरा 10 गुना ज्यादा था। साथ ही कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में
नर्सिंग फैसिलिटी या फिर केयर सेंटर में भर्ती होने का खतरा तीन गुना ज्यादा था।
कोरोना पॉजिटिव
महिलाओं में प्री-मैच्योर डिलीवरी का भी खतरा
वहीं,
सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं
ने एक स्टडी में यह भी दावा किया है कि ऐसी महिलाओं में 32 हफ्ते से पहले बच्चे की प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया में जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच जन्मे बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट देखा। इस दौरान 2,40,157 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें 9 हजार बच्चों की मांओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना हुआ
था।
रिसर्च के मुताबिक 100 सामान्य गर्भवती महिलाओं में से 9 को प्री-मैच्योर डिलीवरी होने का जोखिम होता है,
जबकि कोरोना संक्रमित 100 महिलाओं में यह जोखिम बढ़कर 13 हो जाता है।
BP और मोटापा बढ़ने पर प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा ज्यादा
शोधकर्ताओं का कहना
है कि जो संक्रमित महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे से जूझती हैं,
उनमें प्री-मैच्योर डिलीवरी होने का खतरा 160 फीसदी तक और बढ़ जाता है।
कॉम्प्लिकेशन से
बचने के लिए वैक्सीन जरूरी
शोधकर्ता देबोराह
केरासेक के मुताबिक, बच्चे की प्री-मैच्योर डिलीवरी होने पर कई तरह का रिस्क बढ़ता है। इनमें कई
तरह के कॉम्प्लिकेशन बढ़ते हैं। रिसर्च के परिणाम बताते हैं,
प्री-मैच्योर डिलीवरी को रोकने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान
कोरोना से बचाव करना बेहद जरूरी है। इसलिए सभी को कोरोना वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।
CDC ने
कहा कि प्रेग्नेंट महिलाओं में वैक्सीन की वजह से गर्भपात का कोई खतरा नहीं है।
इसलिए प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चों को ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाएं या फिर बेबी प्लान करने वाली
महिलाएं,
सभी को कोरोना वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। यह पूरी तरह सेफ
है।
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