इस साइटोमेगलो वायरस और उसके लक्षणों को
जानने के लिए हमने मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में इंफेक्शियस डिजीज
विभाग में कंसल्टेंट डॉ. माला कानेरिया, अहमदाबाद
के नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. विवेक दवे और
जयपुर में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर एंड आईसीयू डिपार्टमेंट
में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पंकज आनंद से बात की।
साइटोमेगलो वायरस क्या है?
साइटोमेगलो वायरस (CMV)
कोई नया वायरस नहीं है। यह तो 80% से 90% भारतीय आबादी में पहले से
मौजूद है। यह एक डबल-स्टैंडर्ड DNA वायरस है, जो ह्यूमन हर्पीज वायरस फैमिली का सदस्य है।
स्वस्थ लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं
है,
पर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर यह अटैक करता है। यह
चिकनपॉक्स और इंफेक्शियस मोनोन्यूक्लियोसिस के लिए भी जिम्मेदार है जो किसी भी
उम्र में हो सकता है।
50%-80% लोगों को 40 साल की उम्र के पहले
ही CMV
इन्फेक्शन हो जाता है। हालांकि, हेल्दी
व्यक्ति का इम्यून सिस्टम इन्फेक्शन को रोक सकता है। यह असिम्प्टोमेटिक या फ्लू
जैसी बीमारी हो सकता है। CMV अगर आपके शरीर में आ गया तो यह
जिंदगीभर रहता है।
खतरा तब बढ़ जाता है जब कोविड-19,
उसके इलाज में दिए गए स्टेरॉयड्स और अन्य कारणों से इम्यूनिटी कमजोर
होती है। यह इन्फेक्टेड मरीज के ब्लड, यूरिन और सलाइवा से फैलता
है। दिमाग, दिल, फेफड़ों, आंत और किडनी समेत सभी अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
साइटोमेगलो वायरस किस तरह कोविड-19 मरीजों को प्रभावित कर रहा है?
सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रोफेसर अनिल
अरोरा ने एक इंटरव्यू में कहा कि अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हमने
CMV
इन्फेक्शन के पांच केस देखे हैं। इन्हें पेटदर्द और स्टूल के साथ
ब्लीडिंग के लक्षण कोविड-19 डायग्नोसिस के 20-30 दिन बाद दिखाई दिए। इन 5 में से
एक मरीज की गंभीर कोविड इन्फेक्शन और बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने से मौत हो गई।
कोविड-19 से रिकवर कर रहे ऐसे मरीज
जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी थी, इस
वायरस के निशाने पर हो सकते हैं। ऐसे मरीज जिन्हें स्टेरॉयड्स या अन्य
एंटी-इनफ्लैमेटरी दवाएं दी गई हैं, उन्हें भी इसका खतरा है।
इस तरह के मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर होती
है,
जिससे साइटोमेगलो वायरस के साथ फंगल जैसे अन्य इन्फेक्शन उन्हें
आसानी से प्रभावित कर सकते हैं। गंभीर मरीजों में CMV निमोनिया
और माइल्ड से मॉडरेट मरीजों में रिकवरी के बाद रेक्टल ब्लीडिंग के केस मिले हैं।
साइटोमेगलो वायरस इन्फेक्शन के लक्षण क्या
हैं?
CMV के सबसे आम लक्षणों में बुखार,
गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द या थकान,
स्किन रैश हैं। अगर इम्यूनिटी अच्छी है तो 2-3 हफ्ते में ये लक्षण
खुद-ब-खुद बिना ट्रीटमेंट के भी दूर हो जाते हैं।
अगर व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर है तो CMV
कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। फेफड़ों, GIT (पेट, कोलन), आंखों, बोन मैरो, लिवर, किडनी,
दिमाग आदि भी इसके निशाने पर आ सकते हैं।
इस वायरस के हावी होने पर मरीज का वजन कम होने लगता है। कुछ मरीजों में डायरिया या रेक्टल ब्लीडिंग (मल के साथ खून आना) के लक्षण भी देखे गए हैं। यह जानलेवा भी हो सकता है।
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में जो
पांच मरीज मिले हैं, उनकी उम्र 30 से 70 वर्ष
रही है। चार में कम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो रही थी। एक अन्य मरीज को
इंटेस्टाइनल से जुड़े विकार देखे गए। दो मरीजों को बहुत अधिक ब्लीडिंग हुई और एक
को तो इमरजेंसी सर्जरी से गुजरना पड़ा। तीन मरीजों को एंटीवायरल थेरेपी से ठीक
किया गया।
डायग्नोसिस में सैम्पल CMV वायरल लोड (क्वांटिटेटिव)/PCR (मॉलीक्यूलर टेस्ट) के लिए भेजे जाते हैं। इसके अलावा टिश्यू बायोप्सी और DNA PCR भी करवाया जा सकता है। साइटोमेगलो वायरस का ट्रीटमेंट ऑक्सीजन देकर, एंटीवायरल गैन्सिक्लोविर (इंट्रावेनस) और अन्य तरीकों से किया जा सकता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि इन मरीजों में सेकेंडरी बैक्टेरियल सेप्सिस की जांच होनी चाहिए।
क्या कोविड से रिकवरी के बाद पेट से जुड़े रोग भी सामने आ रहे हैं?
हां। मुंबई में कुछ केस सामने आए हैं,
जहां कोविड से रिकवर होने के बाद भी मरीजों में पेट से जुड़े रोग
डायग्नोज हुए हैं। एक 48 वर्षीय महिला के गालब्लैडर में सूजन आ गई थी, जो आम तौर पर पथरी होने पर होती है। पर उसे पथरी थी ही नहीं। कोविड-19
इन्फेक्शन से रिकवर होने के दो हफ्ते बाद यह समस्या सामने आई।
गालब्लैडर में सूजन के मामले में कई अन्य
देशों में भी आए हैं। जेनेवा के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स के डॉक्टरों ने जर्नल ऑफ
हैपेटोलॉजी में इसका उल्लेख भी किया है। मुंबई के आकाश हेल्थकेयर हॉस्पिटल ने भी
दावा किया कि कोविड से रिकवरी के बाद पेट से जुड़े रोगों को लेकर 50 मरीज एडमिट हो
चुके हैं। दरअसल, अच्छी बात यह रही कि
मरीजों ने सही समय पर अस्पताल से संपर्क किया। वरना, ये
लक्षण जानलेवा भी साबित हो सकते थे।
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