World Day Against Child Labour: महामारी में बढ़ता बाल श्रम

भारत में एक करोड़ से ज्यादा बाल मजदूर है. जब से कोरोना शरू हुआ है तब से दुनिया में चाइल्ड लेबर का मामला बढ़ गया है. दुनिया में बाल श्रम (Child Labour) एक आर्थिक-सामाजिक समस्या है. यह एक समाज और देश पर ऐसा दाग है जो पूरी दुनिया में उसकी छवि खराब करता है और एक समाज की बहुत सारी समस्याओं को दर्शाता है. इसलिए विश्व बालश्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) को बहुत महत्व  दिया जाता है. इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) हर साल 12 जून को मनाता है.

कोरोना के दौर में और भी मजबूर

इतिहास गवाह है कि जब भी किसी आपदा ने किसी समाज को कमजोर किया है और समाज में आर्थिक विसंगतियों के साथ बाल श्रम जैसी समस्याओं ने भी सिर उठाया है. इसी को देखते हुए कोरोना महामारी के इस लंबे दौर में विश्व बालश्रम निषेध दिवस की अहमियत और भी ज्यादा हो जाती है. इसी को देखते हे इस साल इस बार वीक ऑफ एक्शन यानि सक्रियता का सप्ताह मनाया जा रहा है जो 10 जून से शुरू हो चुका है.

कमजोर होते हैं बच्चों के अधिकार

बालश्रम को दुनिया में खत्म करना आसान नहीं हैं. क्योंकि यह आर्थिक अपराध के साथ सामाजिक समस्या भी है और बच्चों के जीवन तक से खिलवाड़ साबित होता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि बाल श्रम पीढ़ियों की बीच की गरीबी को बढ़ाता है, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को चुनौती देता है और बाल अधिकार समझौते के द्वारा गारंटी के तौर पर दिए अधिकारों को कमजोर करने का काम करता है.

तेजी से बढ़ रही है बाल श्रमिकों की संख्या

विश्व बाल श्रम दिवस के मौक पर एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 दुनिया भर में पिछले चार साल में  बाल श्रमिकों की संख्या 84 लाख से बढ़ कर 1.6 करोड़ तक हो गई है. वहीं आईएलओ की रीपोर्ट के अनुसार 5 से 11 साल की उम्र के बाल श्रम में पड़े बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. अब इन बच्चों की संख्या कुल बाल श्रमिकों की संख्या की आधी से ज्यादा हो गई है. वहीं 5 से 17 साल तक के बच्चे जो खतरनाक कार्यों के संलग्न हैं वे साल 2016 से 65 लाख से 7.9 करोड़ तक हो गए हैं.

साल 2021 की थीम

इस साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम एक्ट नाउ: एंड चाइड लेबरयानि अभी सक्रिय हों बाल श्रम खत्म करेंहै. पिछले दो दशकों में यह पहली बार है कि दुनिया ने इतनी तेजी बाल श्रम बढ़ते देखा है. महामारी के कारण लाखों बच्चे इसकी चपेट में हैं आईएलओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार बाल श्रम रोकने के प्रयास की वृद्धि खत्म हो गई है और अब उसमेंसाल 2000 से 2016 के बीच हुए प्रयासों के मुकाबले गिरावट आ रही है.

बाल श्रम के खिलाफ उपाय होने चाहिए कारगर

बाल श्रम समाज में असमानता और भेदभाव के कारण तो होता ही है, यह सामाजिक असमानता और भेदभाव को बढ़ावा भी देता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाल श्रम के खिलाफ उठाया गया किसी भी कारगर कदम को पहचान मिलनी चाहिए और ये प्रयास बच्चों को हो रहे शारीरिक और भावनात्मक नुकसान से निपटने में सक्षम होने चाहिए जो वे गरीब, भेदभाव और विस्थापन के कारण झेल रहे हैं.

(हर दिल में होते हैं ज़ज्बात, हर मन में हिचकोले लेते हैं ख्यालात कीजिये बयाँ अपने अहसासों को....

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