ऐसी जगह जहाँ गंगा कभी मैली नहीं होती...
गंगा का महत्व
हिंदुस्तान में कितना है इससे शायद हर कोई वाकिफ है। गंगा को मां माना जाता है।
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। हिंदुस्तान के 97 शहर और गांव तो सीधे-सीधे गंगा
किनारे बसे हुए हैं और कई अन्य इसके पास हैं। पुराने जमाने की हिरोइन मंदाकिनी का
एक गाना था। 'राम तेरी गंगा मैली हो गई'... ये गाना बड़ा ही सही था। अब खुद ही सोचिए जिस नदी को हम मां
मानते हैं उसकी हालत क्या कर रखी है। यही 97 शहर अपने सीवेज का 3.2 बिलियन लीटर
गंदा पानी हर दिन गंगा में बहाते हैं। यही कारण है कि गंगा अब दिन प्रति दिन मैली
होती जा रही है। इसके अलावा भी कई तरह से गंगा में प्रदूषण फैलाया जाता है।
अगर गंगा का
सफर करना है और पावन नदी का असली आनंद लेना है तो पांच ऐसी जगहों पर जाना बेहतर है
जहां गंगा सबसे पावन है। गौमुख से लेकर सुंदरबन तक गंगा कई स्थानों पर जाती है,
लेकिन हम आपको बता रहे हैं पांच ऐसे स्थान जो 5 दिन में घूमे जा सकते हैं और गंगा की खूबसूरती का आनंद
लिया जा सकता है।
एक छोटा सा
शहर जिसे हिंदू धर्म में बहुत पावन माना जाता है। ये है उत्तरकाशी डिस्ट्रिक्ट में
गंगोत्री जहां गंगा की जननी यानी भागीरथी (जो देवप्रयाग से गंगा बन जाती है) का
उद्गम स्थल है। जहां से ये निकलती है उसे गौमुख कहा जाता है। ये शहर से करीब 19
किलोमीटर दूर है। अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो ये जगह
आपके लिए है। ये जगह बहुत ज्यादा टूरिस्ट से भरी हुई नहीं होगी। इसमें तपोवन,
गौमुख और गंगोत्री का ट्रेक बेहद लुभावना है औरसुंदरता से
भरपूर घूमने की जगह। यहां एक पूरा दिन बिताएं और प्रकृति का आनंद लें।
गंगा के बनने
में दो नदियों का संगम होता है और एक नदी भागीरथी जहां गंगोत्री से आती है वहीं
दूसरी नदी अलकनंदा बद्रीनाथ से आती है। भागीरथी जहां गंगा की जननी कही जाती है
वहीं अलकनंदा को जीवनदायिनी कहा जाता है। बद्रीनाथ से शुरू होने वाली अलकनंदा में
गंगा का एक अलग ही रूप दिखेगा। देवप्रयाग में भागीरथी से मिलने से पहले
विष्णुप्रयाग में अलकनंदा धौली गंगा नदी से मिलती है। नंदाप्रयाग जहां ये नंदिकिनी
नदी से मिलती है। करनप्रयाग जहां ये पिनडार नदी से मिलती है। रुद्रप्रयाग जहां
मंदाकिनी नदी से मिलती है और अंत में आता है देवप्रयाग। यानी ये पांच प्रयाग या
यूं कहें पांच नदियों के संगम अपने आप में बेहद मनमोहक होंगे।
बद्रीनाथ से
आगे बढ़िए देवप्रयाग जहां गंगा का जन्म होता है। दरअसल,
यहीं भागीरथी और अलंकनंदा का संगम होता है और इस संगम की
खूबसूरती शायद आप देखकर चकित हो जाएं। भागीरथी और अलकनंदा का ये संगम अद्भुत है और
यहां इन दोनों नदियों के मिलने के बाद ही जन्म होता है गंगा का। हिंदुओं की सबसे
पावन नदी। जिन्हें प्रकृति के बीच खो जाना है उनके लिए ये जगह बेहद अद्भुत है।
बद्रीनाथ के पंडितों का सर्दियों में यही घर होता है। यहां कई नदियां बेहद अनोखी
हैं।उत्तराखंड में घूमने की जगहों में सबसे अच्छा ये हो सकता है।
ऋषिकेश की
गंगा जहां न सिर्फ एड्वेंचर स्पोर्ट्स बहुत अच्छे हैं,
बल्कि यहां गंगा का ठंडा और सुहावना जल बहुत अच्छा लगेगा।
यहां से कई ट्रेक्स भी किए जाते हैं। इसी के साथ, इसे योगियों की राजधानी भी कहा जाता है। यहां टूरिस्ट कई
सारे मिलेंगे, लेकिन शांति वाला माहौल भी मिलेगा। गंगा को लेकर आप एडवेंचर भी कर सकते हैं और
प्रकृति के बीच हिमायल की गोद में कई उद्गम ट्रेक भी किए जा सकते हैं। यहां आना
गलत नहीं होगा। देवप्रयाग से यहां की जर्नी सिर्फ कुछ ही घंटों की है।
जब बात गंगा
की हो रही है तो हरिद्वार तो यकीनन जाना ही होगा। ऋषिकेश से 30
किलोमीटर दूर हरिद्वार में गंगा आरती का आनंद लीजिए। इसी के
साथ गंगा की तीव्र गति में डुबकी लगाइए। कई पौराणिक मंदिरों का आनंद उठाइए। यहां हिंदू
धर्म का एक अलौकिक अहसास होगा। इसे कम मत समझिए। ये बेहद अनोखा शहर है और यहां
गंगा का अनोखा रूप दिखेगा। यहां से भी पहाड़ों की खूबसूरती का आनंद उठाया जा सकता
है।
सबसे जरूरी
बात ये है कि जब आप इस ट्रिप पर जा रहे हों तो ध्यान रखें कि कोई भी कचरा या
प्रदूषण न फैलाएं। क्योंकि अगर ऐसा होगा तो गंगा मइया को बहुत दुख होगा। गंगा की
खूबसूरती इसके पावन रूप में है और इसे ऐसा ही रहने दें। हरिद्वार में भी कई
पौराणिक मंदिर हैं। यहां के मंदिरों की अलग ही मान्यताएं हैं। तो दो दिन हरिद्वार
में बिताए जा सकते हैं। इस आर्टिकल को अपने हर उस दोस्त से शेयर करना न भूलिएगा जो
गंगा की इस अनोखी यात्रा में जाने की इच्छा रखता हो।
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