सात का सच : मोदी के सात सालों का लेखा जोखा

मोदी के 7 साल पूरे: जानें उनके इन सालों के बड़े कारनामे...

आज मोदी सरकार के 7 साल पूरे हो चुके हैं. इन 7 सालों में उन्होने कई सारे कार्य किये हैं जिनकी आलोचना हुई कभी तो कभी तारीफ हुई. तो चलिए आईए जानते हैं उनके बेस्ट काम को, जिनकी आलोचना भी हुई तो तारीफ भी..

1.नोटबंदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर कहा कि आज रात से 500 और 1000 रुपए के नोट बेकार हो जाएंगे। इन्हें बैंकों में जमा करने की छूट मिली। सरकार का पूरा जोर डिजिटल करेंसी बढ़ाने और डिजिटल इकोनॉमी बनाने पर शिफ्ट हो गया। मिनिमम कैश का कॉन्सेप्ट आया। नोटबंदी के 21 महीने बाद रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आई कि नोटबंदी के दौरान रिजर्व बैंक में 500 और 1000 के जो नोट जमा हुए, उनकी कुल कीमत 15.31 लाख करोड़ रुपए थी। नोटबंदी के वक्त देश में कुल 15.41 लाख करोड़ मूल्य के 500 और हजार के नोट चल रहे थे।

डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा हुआ। 2016-17 में 1013 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ था। 2017-18 में ये बढ़कर 2,070.39 करोड़ और 2018-19 में 3133.58 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ।

2.सर्जिकल स्ट्राइक 



आजादी के बाद पहली बार भारत ने दुश्मन की सीमा में घुसकर उसे सबक सिखाया। भारत का आतंकवाद से निपटने को लेकर नजरिया बदला। कुछ दिन बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी मोदी सरकार को बहुत फायदा हुआ। मोदी सरकार फिर से सत्ता में लौटी। पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयरस्ट्राइक के वक्त पहली बार ऐसा हुआ जब युद्ध की स्थिति नहीं होते हुए भी आतंकी घटनाओं का जवाब देने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर आतंकियों को सबक सिखाया।

भारत की आंतकवाद के खिलाफ लड़ने को लेकर छवि मजबूत हुई। पूरे देश में महसूस किया गया कि भारत अपने दुश्मनों को कहीं भी जाकर खत्म कर सकता है।

 3.GST- एक देश एक टैक्स

हर राज्य अपने अलग-अलग टैक्स वसूलता था। अब सिर्फ GST वसूला जाता है। आधा टैक्स केंद्र सरकार को जाता है और आधा राज्यों को। वसूली केंद्र सरकार करती है। बाद में राज्यों को पैसा लौटाती है। 2 अप्रैल 2017 को जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति मिली। यह 4 कानून हैं- सेंट्रल GST बिल, इंटिग्रेटेड GST बिल, GST (राज्यों को कम्पेंसेशन) बिल और यूनियन टेरेटरी GST बिल। तब जाकर 1 जुलाई 2017 की आधी रात से नई व्यवस्था पूरे देश में लागू हुई।

टैक्स की विसंगति दूर हुई। अब पूरे देश में हर सामान पर एक-सा टैक्स लगता है। शुरुआत में इंडस्ट्री को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पर धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही है। कई बदलावों के बाद अब यह प्रक्रिया स्मूथ हो गई है।

4.तीन तलाक

केंद्र सरकार ने कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं से तीन बार तलाक कहकर संबंध खत्म करने की प्रथा को गैरकानूनी बनाया। ऐसा करने वालों के लिए तीन साल की सजा तय हुई। मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ते/मुआवजे की व्यवस्था भी की। सायरा बानो से रिजवान अहमद ने शादी के 15 साल बाद 2016 में तीन बार तलाक बोलकर संबंध तोड़ दिए। सायरा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इस पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक के खिलाफ फैसला सुनाया। सरकार को तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने को भी कहा। मोदी सरकार ने फरवरी 2018 में अध्यादेश जारी किया। यह बिल की शक्ल में संसद में पेश हुआ और तमाम विरोधों के बाद भी दोनों सदनों से दिसंबर 2018 में यह पारित हो गया। 

कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहकर संबंध खत्म करता है तो उसे तीन साल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है। तीन तलाक के केस घटकर 5%-10% रह गए हैं।

5.धारा 370 हटा

केंद्र सरकार ने प्रशासनिक संकल्प से जम्मू-कश्मीर से संविधान की धारा 370 हटा दी। राज्य को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गए। जम्मू-कश्मीर दो केंद्रशासित प्रदेशों में बंट गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। 1948 में जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में विलय से पहले विशेषाधिकार की शर्त रखी थी। जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होने के बाद भी अलग ही रहा। राज्य का अपना अलग संविधान बना। वहां भारत में लागू कुछ ही कानून लागू होते थे। बच्चों को शिक्षा का अधिकार (RTE) तक नहीं मिला था। कश्मीर में सिर्फ कश्मीरी ही जमीन खरीद सकते थे। राज्य सरकार की नौकरियां भी स्थायी नागरिकों को ही मिलती थीं।

जम्मू-कश्मीर औपचारिक तौर पर भारत का हिस्सा बना। भारत के सभी कानून जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लागू हुए। मनरेगा, शिक्षा के अधिकार को भी लागू किया गया।

6.CAA लागू

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम (हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और इसाई) प्रवासियों को नागरिकता देता है। पहले इन लोगों को भारत की नागरिकता पाने के लिए भारत में 11 साल रहना होता था। नागरिकता संशोधन बिल के बाद ये अवधि 11 साल से घटाकर 6 साल हो गई।

17वीं लोकसभा के गठन के बाद मोदी सरकार ने नए सिरे से इस बिल को पेश किया। 10 दिसंबर 2019 को ये बिल लोकसभा और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास हो गया। राष्ट्रपति से हस्ताक्षर के बाद 10 जनवरी 2020 को इसे लागू कर दिया गया।

कई सालों से अवैध रूप से भारत में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिकता पाने की राह आसान हुई। हालांकि सरकार नियम बनाने में नाकाम रही है। सांसदों की एक कमेटी को नौ जुलाई 2021 तक इन्हें फाइल करना है।

7.बैंको का विलय

बैंकों को बढ़ते NPA से राहत मिलने और उपभोक्ताओं को बेहतर बैंकिंग सुविधाएं मुहैया होने की बात कही गई।  दस सरकारी बैंकों का विलय करके चार बड़े बैंक बनाने का ऐलान हुआ। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया। सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जोड़ने का ऐलान किया गया। इसके साथ IDBI बैंक के प्राइवेटाइजेशन को भी सरकार ने मंजूरी दी।

ग्राहकों को बेहतर सुविधा मिल रही है। बैंकों का खर्च कम हुआ। बैंकों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी। बैंक की आमदनी बढ़ने में मदद मिली। टेक्नोलॉजी में ज्यादा निवेश करने का मौका मिला। इसके साथ ही बेहतर ढंग से प्राइवेट बैंक से मुकाबला करने की कोशिश कर पा रहे हैं। डूबते लोन को काबू करने में भी मदद मिली।

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