राज्य सरकार न करे अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश: डॉ. हर्षवर्धन

 


कोरोना देश में:24 घंटे में रिकॉर्ड 1.26 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित मिले; वैज्ञानिकों ने कहा- कोरोना की इस रफ्तार को केवल वैक्सीनेशन से रोक सकते हैं.. 

वैक्सीन की कमी की शिकायत करने वाली महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सरकारों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आड़े हाथों लिया है। साथ ही वैक्सीनेशन कराने में फेल दिख रही पंजाब और दिल्ली सरकार की भी खिंचाई की। डॉ. हर्षवर्धन ने महाराष्ट्र सरकार के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि देश में कहीं भी वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। महाराष्ट्र सरकार बार-बार अपनी गलतियों को दोहरा रही है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जिम्मेदारी से काम न करना समझ से परे है. लोगों में दहशत फैलाना मूर्खता है. राज्य सरकार के गैर जिम्मेदराना रवैये ने पूरे देश में वायरस से लड़ने के प्रयासों को बहुत ही कम कर दिया है. चौंकाने वाली बात ये है कि राज्य सरकार अपनी निजी वसूली के लिए लोगों को क्वारंटीन से छूट देकर लोगों की जान को खतरे में डाल रही है.कोरोना से निपटने में राज्य सरकार के प्रयासों की कमी अब साफ दिखाई दे रही है, जिससे हम सभी परेशान हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि गलतियां दोहराने के चलते महाराष्ट्र में हालात खराब हुए। अब वहां की सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए हम पर आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि जो भी राज्य वैक्सीन कमी की बात कर रहे हैं वे राजनीतिक रूप से लोगों को डराने का काम कर रहे हैं।

सारी एनर्जी राजनीति खेलने में ही लगा रही महाराष्ट्र सरकार

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण करने के मामले में भी महाराष्ट्र सरकार का प्रदर्शन अच्छा नहीं है. राज्य सरकार को महामारी को कंट्रोल करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है और केंद्र सरकार उन्हें हर संभव तरीके से मदद भी कर रही है. लेकिन राज्य सरकार अपनी सारी एनर्जी राजनीति खेलने और झूठ फैलाने पर ही खर्च करने में लगी हुई है, जिससे महाराष्ट्र के लोगों की ठीक से मदद भी नहीं हो पा रही है.

साफ दिखाई दे रही महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों में कमी

उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह अब बोलने के लिए मजबूर हैं और उनकी चुप्पी को उनकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार राज्यों की मदद के लिए सब कुछ कर रही है. हम सभी को इस महामारी को हराने के लिए कड़ी मेहनत और एक साथ काम करने की जरूरत है. केंद्र ने महाराष्ट्र की रेगुलर काउंसलिंग की, उन्हें सभी संसाधन उपलब्ध कराए और मदद के लिए केंद्रीय टीमों को भी भेजा.

उन्होंने कहा कि इन सबके बाद भी कोरोना से निपटने में महाराष्ट्र सरकार के हिस्से के प्रयासों की कमी अब साफ तौर पर दिखाई दे रही है. महाराष्ट्र में न केवल देश में सबसे ज्यादा मामले और मौतें हैं, बल्कि पॉजिटिविटी रेट भी सबसे ज्यादा है. महाराष्ट्र में वैक्सीन की कमी की बात में कोई दम नहीं है. वैक्सीन की सप्लाई लगातार की जा रही है और राज्य सरकारों को इसके बारे में लगातार जानकारी भी दी जा रही है.

राजनीति करने की बजाय राज्य सुधारें अपने हेल्थ सिस्टम

वहीं, छत्तीसगढ़ को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के नेताओं की तरफ से कई टिप्पणियां मिली हैं, जिनका मकसद टीकाकरण पर गलत सूचना देना और डर फैलाना है. उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि राज्य सरकार राजनीति पर ध्यान देने की बजाय अपनी आधारभूत स्वास्थ्य संरचना पर जोर दें. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि एकमात्र छत्तीसगढ़ सरकार के कांग्रेस नेताओं को ही ये गौरव प्राप्त है कि इस संकट के समय भी उन्होंने कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों में गलतफहमी और हिचकिचाहट भरी.

उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब देश संक्रमण की एक नई लहर देख रहा है, मैं इस बात से बहुत परेशान हूं कि कई राज्य सरकारें उचित उपाय करने में असफल रही हैं और पिछले एक साल में इस देश ने जो कुछ भी देखा है, उससे भी इन राज्य सरकारों ने कोई सबक नहीं सीखा है.उन्होंने कहा, “राज्य सरकारें लोगों के बीच मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करवाने के मामले में काफी सुस्त दिखाई दे रही हैं. बहुत कुछ है जिसे करने की जरूरत है और हमें यह सब तेजी और बड़े पैमाने पर करना चाहिए.



अभी प्राथमिकता के आधार पर ही दी जा सकती है वैक्सीन

इसी के साथ उन्होंने सभी उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने की मांग को ध्यान भटकाने का प्रयास बताया. दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को 25 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीकाकरण की अनुमति देने की मांग की थी. इस पर हर्षवर्धन ने कहा कि जब तक वैक्सीन की सप्लाई सीमित है, तब तक प्राथमिकताके अलावा कोई विकल्प नहीं है.

मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र ने केवल 86 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मचारियों को वैक्सीन की पहली डोज दी है. दिल्ली और पंजाब में यही प्रतिशत 72 और 64 है. वहीं, दूसरी ओर 10 भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने यह 90 प्रतिशत से ज्यादा है. क्या यह साफ नहीं लगता कि ये कुछ राज्य लक्ष्य निर्धारण में लगातार बदलाव करके अपने खराब टीकाकरण प्रयासों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं?” वहीं, पंजाब में बढ़ते पॉजिटिव मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि पंजाब में, जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती होने वालों की जल्द पहचान कर मृत्यु दर में सुधार लाने की कोशिश करनी चाहिए.

वैक्सीन पर सवाल उठाना गलत

डॉ. हर्षवर्धन ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोवैक्सिन को अपने राज्य में लगाने से मना कर दिया था। वह लगातार ऐसे बयान दिये जा रहे थे जिनकी मंशा टीकाकरण के बारे में दुष्प्रचार और घबराहट फैलाना है। इससे कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर हुई है।

पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र में हेल्थ वर्कर्स के वैक्सीनेशन में भी कमी

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने केवल 86% हेल्थ वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी। दिल्ली में में 72% और पंजाब में केवल 64% स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई। दूसरी ओर 10 अन्य राज्य और केंद्र शासित राज्यों में 90% से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसी तरह फ्रंट लाइन वर्कर्स को भी वैक्सीन लगाने में ये तीनों सरकार फेल रहीं हैं। महाराष्ट्र में अब तक केवल 73%, जबकि दिल्ली में 71% और पंजाब में 65% फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। ये आंकड़े नेशनल एवरेज से भी कम है।

राज्य सरकारों को पत्र भी लिखा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजाब, महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर वैक्सीनेशन बढ़ाने की बात कही है। पत्र में बताया गया है कि इन तीनों राज्यों में नेशनल एवरेज से भी कम वैक्सीन लगाई गई है। महाराष्ट्र सरकार को लिखे चिट्‌ठी में कहा गया है कि राज्य में केंद्र सरकार की तरफ से 1 करोड़ 6 लाख 19 हजार 190 वैक्सीन की डोज भेजी गई थी। इनमें से केवल 90 लाख 53 हजार 523 टीकों का इस्तेमाल हुआ है। बाकी वैक्सीन की डोज अभी भी बची है। ऐसे में वैक्सीन की कमी का आरोप बिल्कुल गलत है।

Post a Comment

0 Comments