मानहानि केस में जर्नलिस्ट प्रिया रमानी बरी, कोर्ट ने कहा- महिलाओं को उत्पीड़न के दशकों बाद भी शिकायत का हक
रमानी ने जिस घटना का हवाला दिया था, वह दो दशक पुरानी थी। तब अकबर जर्नलिस्ट थे। 20 साल बाद जब रमानी ने उनके नाम का खुलासा किया, तब अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे।
अदालत के सामने सच साबित होना बहुत अच्छा लगता है: रमानी
कोर्ट से बरी होने के बाद जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने कहा कि मैं पीड़िता थी, इसके बावजूद मुझे कोर्ट में ऐसे खड़ा होना पड़ा जैसे मैं आरोपी हूं। मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करती हूं, जो लोग मेरे साथ में खड़े रहे। खासतौर पर मेरे दो गवाह गजाला वहाब और निलोफर वेंकटरमन, जो मेरे लिए कोर्ट पहुंचे और बयान दिया। यह महिलाओं और #MeToo कैम्पेन की जीत है। अदालत के सामने सच साबित होना बहुत अच्छा लगता है।
अकबर vs रमानी केस में कोर्ट की 10 टिप्पणियां
- अदालत का यह मानना है कि प्रिया रमानी ने जो भी खुलासा किया, वह वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के विरोध में उठाया गया कदम था।
- समाज को यह समझना होगा कि महिलाओं पर यौन उत्पीड़न का कैसा असर होता है।
- इस तरह का उत्पीड़न गरिमा के खिलाफ है और यह आत्मविश्वास छीन लेता है।
- व्यक्तिगत गरिमा की कीमत पर किसी की छवि को बनाए नहीं रखा जा सकता।
- जो व्यक्ति सोशल स्टेटस रखता है, वह भी यौन उत्पीड़न कर सकता है।
- इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि यौन उत्पीड़न के ज्यादातर मामले बंद दरवाजों के पीछे होते हैं।
- विक्टिम कई बार यह नहीं समझ पाती कि उनके साथ क्या हुआ है इसलिए महिलाओं को दशकों बाद भी अपनी शिकायत बताने का अधिकार है।
- संविधान ने अनुच्छेद 21 और समानता का अधिकार दिया है। प्रिया रमानी को अपनी पसंद के प्लेटफॉर्म पर आपबीती बताने का पूरा हक था।
- रामायण में सीता की मदद के लिए जटायु आगे आए थे। जब लक्ष्मण से भी सीता के बारे में बताने को कहा गया था तो उन्होंने कहा था कि उनकी नजर कभी सीता जी के पैरों से ऊपर ही नहीं गई। भारतीय मूल्यों में महिलाओं के प्रति सम्मान का यह एक उदाहरण है।
- शर्म की बात है कि महिलाओं के खिलाफ ऐसे देश में अपराध हो रहे हैं, जहां महिलाओं के सम्मान को लेकर महाभारत और रामायण लिखी जा चुकी है।
रमानी ने 'वोग' के लिए आर्टिकल लिखा था
2017 में जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने ‘वोग’ मैगजीन के लिए एक आर्टिकल लिखा था। इसमें उन्होंने करीब 20 साल पहले नौकरी के लिए इंटरव्यू के दौरान बॉस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। 2018 में जब देश में #MeToo कैम्पेन शुरू हुआ, तब रमानी ने खुलासा किया कि उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति एमजे अकबर ही थे।
इन आरोपों के चलते 17 अक्टूबर 2018 को अकबर को मंत्री पद छोड़ना पड़ा। अकबर ने इसके बाद रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया।
अकबर ने रमानी के आरोपों को काल्पनिक बताया था
ट्रायल के दौरान अकबर ने अदालत को बताया कि रमानी के आरोप काल्पनिक हैं। इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है। दूसरी ओर, रमानी अपने दावों पर टिकी रहीं। इस मामले में एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने 1 फरवरी को दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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