कहानी : मन है कि मानता नहीं








लीजिये आज हम फिर से हाज़िर हैं एक नए और रोचक कहानी के साथ. जिसको लिखा है यशी जी ने. तो चलिए बिना देर किये पढ़ते हैं कहानी-मन है कि मानता नहीं. तो चलिए शुरू करते हैं आज की कहानी...

अच्छा चलो, अब  जल्दी से कुछ मांगों! भीड़ से एक आवाज़ आई रेखा ने बात मानी और थोड़ी देर के लिए आँख बंद कर के भगवान से कुछ माँगा | फिर रमन ने हाथ पकड़ा और दोनों ने केक काटा| उस रात बाद में ,जब रमन ने पूछा कि उसने भगवान से क्या माँगा| एक मुस्कराहट के  साथ रेखा ने कहा केवल तीन शब्द, “चालीस साल और”|

क्या तुम पक्का श्योर  हो” ? रमन ने उत्सुकता से  पूछा| “ मैं  कभी इससे ज्यादा श्योर न किसी चीज़ के लिए थी और न ही हो पाऊँगी’’| रेखा ने आत्मविश्वास और थोडा हंस कर जवाब दिया |उसका चेहरा मानो लाल सा हो गया था  वह थोड़ा सा शरमाई और रमन को गले से लगा लिया उसने नहीं पूछा कि तुमने क्या माँगा क्योंकि मन के अंदर वो जानती थी की रमन  की ख्वाहिश भी रेखा  से कुछ अलग नहीं हो सकती। दोनो का सफ़र कुछ इस तरह शुरु हुआ | बीस साल की उम्र में माँगा हुआ यह वादा क़ुबूल हुआ 

दोनो अपनी रंगीन ज़िन्दगी में ऐसे खो गये कि चालीस साल कब निकल गए मानो पता ही नही चला |घर की जिम्मेदारियों में ,बच्चो में ,परिवालों में कहीं न कहीं खुद को भी खो सा दिया | आज शादी की 40 वीं सालगिराह की रात को, बंद आँखों ने भगवान से फिर  एक ही इच्छा मांगी वो थी हमेशा प्यार से साथ रहने का सपना। साथ ही इस बार रमन ने कहा पहले तो नही बताया था |लेकिन मैंने जो माँगा वह जरूर बताऊंगा  सुन कर रेखा के चेहरे की लाली यक़ीनन वही थी जिसे अक्सर रमन बरकरार रखता है जल्दी बताओ अब बताओ भी रेखा ने कहा |रमन ने कहा पहले आंखें तो बंद करो और फिर उसने अपनी अभी तक की बचाई हुए पूंजी ला कर रेखा के हाथ पर रख दी और कहा तेरे साथ कश्मीर कि वादियों का सफर तय करना चाहता हूँ, इजाज़त  है.
मुस्कुराकर  रेखा ने कहा इजाज़त है| दोनों की आंखे नम थी और लग रहा था समय थम सा गया है पीछे से आवाज़ आई माँ भूख लगी है खाना दो डिनर टाइम’’ दोनो ने साथ में कहा बस आये | रात बीत रही थी लेकिन बात नही ख़त्म हुई अभी ,रेखा ने कहा ज्यादा खर्च हो जाएगा| क्या जरुरत है अभी |रमन ने कहा मैं हूँ न मैंने हमेशा से रिटायरर्मेंट  के बाद का हिसाब लगा के रखा था तुम बस चिंता नही चयन करो कब निकलना है |रेखा  ने मुस्कराहट के साथ कहा जब आप कहें| दोनो बहुत खुश थे |सभी तयारियां हो गई ,बैग पैक हो गया| रमन ने की गयी “Scheduled Flight’’ चैक  की और कहा मैं टैक्सी ले के आता हूँ | लॉकर से कैश निकाल कर बैग रेडी रखो |सब वैसा ही हो रहा था जैसा उसने अपने सपनो में सोचा था |
लेकिन वो कहते है न समय का किसी ने नही सोचा कब क्या हो जाय| किसे  पता था कि यह ख़ुशी रमन के  वापस आते गम में बदल जायगी | एक ऐसा हादसा जिसने रमन के सपनो में पानी फेर दिया |टैक्सी  ले कर आते रमन ने अपने सामने अपने सपनो को जलते देखा |खुशकिस्मती तो यह कि आग में उसके अपने सलामत थे| रेखा ने आंख में आंसू लेकर कहा क्या फर्क पड़ता है कश्मीर कि वादियों के सफ़र का जिंदगी के सफ़र में तो हम साथ है न’’|
ज़िन्दगी में जो कोई भी आपके करीब हैं उन्हें हमेशा अपने दिल के पास रखिये. उम्र मायने नहीं रखती किसी के साथ के लिए, किसी के साथ की वजह से ही तो उम्र बढती है और जीने का असली मजा आता हैं. अपने अपनो की असली कीमत अभी से समझ जाइए क्यूंकिजब उनका साथ छोड़ने के बाद तन्हाई गले लगाती हैं तो बहुत घुटन होती हैं. इस बात को जितना जल्दी समझ सके उतना ही अच्छा होगा, आपके लिए और आपके अपनों के लिए. यदि मेरी  ये छोटी सी कहानी पसंद आई हैं. तो हमे कमेंट सेक्शन में जरुर बताए|


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