कोई रोजाना कसरत करने लगा तो किसी ने
सुबह-शाम काढ़ा पीना शुरू कर दिया। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्टे्स एंड
ड्रगिस्ट्स (AIOCD) की रिपोर्ट में एक और खुलासा हुआ
है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीयों ने साल 2020 में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए
विटामिन सप्लीमेंट्स और इम्यूनिटी बूस्टर्स पर करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए
हैं। ये साल 2019 के मुकाबले लगभग 5 गुना ज्यादा है।
इम्यूनिटी बूस्टर्स क्या होते हैं?
इनके क्या फायदे और नुकसान हैं? कोरोना ने किस
तरह इनकी बिक्री को बढ़ाया है? आइए समझते हैं...
इम्यूनिटी बूस्टर्स क्या होते हैं?
इम्यूनिटी बूस्टर यानी वो दवाएं जो आपकी
इम्यूनिटी को बढ़ाने का दावा करती हैं। इनमें मल्टी विटामिन,
मिनरल्स, एमीनो एसिड और इसी तरह के बाकी पोषक
तत्व आते हैं। ये दवाएं आपको टैबलेट, कैप्सूल, लिक्विड या पाउडर फॉर्म में दी जाती हैं। इन दवाओं के जरिए आपको विटामिन,
मिनरल्स, जिंक और बाकी पोषक तत्व दिए जाते
हैं।
कोरोना ने इन सप्लीमेंट्स की बिक्री को
किस तरह बढ़ाया?
कोरोना ने पूरी दुनिया में स्वास्थ्य को
सबसे ज्यादा प्रायोरिटी वाले मुद्दे में शामिल कर दिया है। लोग अपनी हेल्थ पर
ज्यादा ध्यान देने लगे है। कोरोना के फैलने का सीधा संबंध शरीर के इम्यून सिस्टम
से है। इम्यून सिस्टम जितना कमजोर होगा, वायरस
के फैलने का खतरा उतना ज्यादा होगा। लिहाजा लोगों ने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने
के लिए जमकर इन ड्रग्स की खरीदारी की। लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता और डर
दोनों बढ़ा है। इससे भी इन सप्लीमेंट्स की मांग बढ़ी है।
कोरोना ने बढ़ाई फार्मा कंपनियों की कमाई
·
जून 2020 में ग्लेनमार्क फार्मा ने एंटीवायरल ड्रग फेविपिराविर लॉन्च की थी। कंपनी
ने केवल इस दवा से पिछले एक साल में 975 करोड़ रुपए कमाए
हैं। कुल 1220 करोड़ रुपए की इस दवा की बिक्री हुई है।
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पिछले एक साल में
रेमडेसिविर की 833 करोड़ रुपए की बिक्री हुई है। इस
दवा से सिप्ला ने 309 करोड़ और कैडिला ने 215 करोड़ रुपए कमाए।
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एंटीबायोटिक ड्रग
एजिथ्रोमाइसिन की 992 करोड़ रुपए की बिक्री
हुई। पिछले एक साल में इस दवा की बिक्री में 38% का इजाफा
हुआ है।
·
हेल्थ सप्लीमेंट रिवाइटल
और प्रोटिनेक्स की बिक्री में भी 52% और 64% का उछाल दिखा।
·
फार्मा कंपनियों ने जो
दवाएं सीधे हॉस्पिटल्स को बेची हैं, उसे इस
रिपोर्ट में नहीं जोड़ा गया है। वो जोड़ने के बाद ये आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है।
कितना बड़ा है इम्यूनिटी बूस्टर ड्रग्स का मार्केट?
फार्च्यून मैग्जीन के मुताबिक,
2020 में ग्लोबल इम्यून हेल्थ सप्लीमेंट मार्केट 1.47 लाख करोड़ रुपए का था। 2028 तक इसके 2.3 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इस दौरान ये मार्केट सालाना 6.6% की दर से बढ़ सकता है। इन ड्रग्स के लिए सबसे बड़ा मार्केट नॉर्थ अमेरिका
है। दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाली कुल इम्यूनिटी बूस्टर ड्रग्स का 36% कंज्म्प्शन केवल नॉर्थ अमेरिका में होता है।
कोरोना के डर ने और किन प्रोडक्ट्स की
बिक्री बढ़ाई?
आयुष मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काढ़े का इस्तेमाल करने को कहा था। रिसर्च कंपनी Kantar
की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना की दूसरी
लहर में 91% भारतीयों ने काढ़े या इम्यूनिटी बढ़ाने वाली
दवाओं का इस्तेमाल किया है। इससे बाजार में रेडीमेड काढ़े की बिक्री जबर्दस्त
बढ़ी। आयुर्वेदिक उत्पाद बना रही हिमालय और डाबर जैसी कई कंपनियों ने इस दौरान शहद,
अश्वगंधा, गिलोय, च्यवनप्राश
की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की है। 2019 में जहां च्यवनप्राश
की बिक्री में 5% की गिरावट आ गई थी, वहीं
2020 में 132% का उछाल दिखा। सिर्फ
अप्रैल में ही शहद, ग्रीन टी, नीम,
तुलसी से बने पेय पदार्थ और साबुन की बिक्री 60% से लेकर 157% तक बढ़ी है।
डाइटीशियन डॉक्टर विनीता जायसवाल से समझते
हैं,
इन सप्लीमेंट्स के नुकसान क्या-क्या हैं और कैसे आप अपने इम्यून
सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं:
इन सप्लीमेंट्स के क्या नुकसान है?
लोगों ने कोरोना के डर से हर तरह की
इम्यूनिटी बूस्टर दवाओं का इस्तेमाल किया। इस वजह से शरीर में इन दवाओं का ओवरडोज
हो गया और ये दवाएं इम्यूनिटी बढ़ाने की बजाय बीमारियां बढ़ाने लगीं। इन दवाओं के
ओवरडोज से खुजली, अनिद्रा, डिप्रेशन और किडनी स्टोन तक हो सकता है।
ज्यादातर मल्टी विटामिन वॉटर सॉल्यूबल
होते हैं,
उनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। वॉटर सॉल्यूबल यानी शरीर की
जरूरत पूरी होने पर बाकी मल्टी विटामिन को हमारा शरीर खुद ही पेशाब के रास्ते बाहर
निकाल देता है, लेकिन जो मल्टी विटामिन वॉटर सॉल्यूबल नहीं
होते, वो शरीर में इकट्ठा होकर टॉक्सीसिटी बढ़ाते हैं।
शरीर की बनावट और शारीरिक गतिविधियों के
हिसाब से सबकी इम्यूनिटी और डाइट अलग-अलग होती है। अगर आप खुद से ही इम्यूनिटी
बूस्टर दवाएं लेंगे तो ये आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इम्यूनिटी बैलेंस रखने का सबसे बढ़िया
तरीका खुद के खानपान पर ध्यान देना है। न ज्यादा खाएं,
न कम खाएं। घी-तेल का प्रयोग कम करें। खाने में मीठी चीजों का
इस्तेमाल कम से कम करें। सूखे मेवे, मौसमी फल-सब्जी और
लिक्विड डाइट ज्यादा लें।
इससे आपके शरीर की इम्यूनिटी नेचुरल तरीके
से ही बनी रहेगी और आपको इन सप्लीमेंट्स को लेने की जरूरत नहीं होगी। यहां पर
ध्यान रखने वाली बात ये है कि शरीर की इम्यूनिटी एक-दो दिन में नहीं सुधर सकती।
इसका सीधा-सीधा संबंध आपकी डाइट और लाइफस्टाइल से है। किसी परिचित या दोस्त की
सलाह पर या गूगल सर्च कर कोई भी सप्लीमेंट लेना शुरू न करें। डाइटीशियन से सलाह
लें,
उसके आधार पर ही इन सप्लीमेंट्स को लेना चाहिए।
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